कौन कहता है भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ?
अगर होता तो राष्ट्रपति भवन के स्तम्भ पर यह क्रास क्या कर रहा है शायद क्रास एक धर्म का निशान है जिसके मानने वालो ने हमें गुलाम रखा . और छोड़ कर जाने के ६२ साल के बाद भी हम उसके धार्मिक चिन्ह को ढ़ो रहे है और ढिंढोरा पीट रहे है धर्मनिरपेक्ष होने का .
मेरी बेटी को इस बात पर गुस्सा है कि आज भी हम गुलामी को क्यों ढ़ो रहे है . आज तक अपने शहीदों का कोई स्मारक ना बना सके इण्डिया गेट का उपयोग करते है जो अंग्रेजी सेना के लिए लड़े गए लोगो के लिए बना था . जबकि अमेरिका जब आज़ाद हुआ था तब उसने गुलामी के सब चिन्ह अपने हाथो से मिटा दिए थे
bat to sahi hai, magar koi bat nahi rahne dijiye
जवाब देंहटाएंयही बातें तो हैं मेरे देश की जिनसे यह कहलाता है धर्मनिरपेक्ष, संसद के सामने मस्जिद, इधर यह इसाई निशान और मन्दिर तो खेर हर तरफ, सर्वधर्म निशानियों से ही तो कहलाता है धर्मनिरपेक्ष,
जवाब देंहटाएंबात सही कहा आपने ।
जवाब देंहटाएंअगर वह ॐ होता तो अब तक जरूर उखाड़ फ़ेंक दिया गया होता क्योंकि धर्म और जाती की परिधि में सिर्फ यही आता है इस देश में और वह कम भी इन तथाकथित सेक्युलर हिन्दुओ द्वारा ही किया जाता !
जवाब देंहटाएंस्वास्तिक या हिन्दु धर्म का कोई निशान हो तो बोलो...अन्यथा यह सब धर्मनिरपेक्षता की निशानी है.
जवाब देंहटाएंसोचने वाली बात है ........ वैसे भारत धर्म निरपेक्ष कभी भी न थ, न है और न रहेगा ....... ये शब्द बस कांगेस की उपज है.... जब तक उनको वोट मिल रहे हैं ये शब्द चलेगा .... जब बंद हो जाएँगे .... ये शब्द भी ख़त्म हो जाएग .....
जवाब देंहटाएंAchha Mudda Uthaaya. Is baare me gambheerta se vichaar kiya jaana chahiye.
जवाब देंहटाएंजब कांग्रेस और कमीनिस्ट कह रहे हैं तो मान लीजिये कि धर्मनिरपेक्ष है, क्रास का निशान तो वैसा ही रहेगा…। दूरदर्शन से सत्यं शिवं सुंदरम हटा दिया जाये… या बच्चों की पुस्तकों में से "ग" से गणेश की बजाय गधा हो, अथवा केन्द्रीय विद्यालय के मोनो में से कमल का फ़ूल हटाना हो… यह असली धर्मनिरपेक्षता है…। सोनिया मैया की जय बोलिये और खुश रहिये… देश के करोड़ों लोग ऐसा ही कर रहे हैं… क्योंकि वे "हिन्दू" हैं, और बुद्धिजीवी तो ऐसे मामलों में पड़ते नहीं… :)
जवाब देंहटाएंश्री गोंदियाल और श्री संजय बेंगानी से सहमत।
जवाब देंहटाएंगुलामी के दिनो की याद जिस पीढ़ी को है वह तो अब चली ..लेकिन नई पीढ़ी इसी बहाने इतिहास पढ़ लेगी ?
जवाब देंहटाएंदो सौ सालो की गुलामी है जाते जाते जायेगी..
जवाब देंहटाएंशताब्दी जैसी ट्रेन में सुबह के समय बजने वाले भजन बंद कर दिये गये, क्योकि इससे अल्पसंख्यकों की भावनायें आहत होती थीं, संसद में इस बात पर काफ़ी समय का सदुपयोग किया गया कि रेलवे की केटरिंग सुविधा में हलाल मीट सर्व किया जाता है या झटका मीट। वंदेमातरम, एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों में इतिहास का वर्णन, सूची छोटी नहीं है। आप अभी तक इस मुगालते में थे कि भारत ’धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र’है?
जवाब देंहटाएंbilkul sahi prashann uthaya hai aapne?sabuton ke saath, yahi sach hai ,kisi ko agar lagta hai ki yeh is desh ki dahrmnirpekshta pr prahaar hai to koi baat nahi,lok tantr to hai hi.....sabhi kahtey hain.
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