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बहुत पहले उत्तर प्रदेश में एक किस्सा मशहूर था कि सपा का टिकट के लिए अपराधियों को प्राथमिकता दी जाती थी . एक बार टिकिट के लिए इंटरव्यू हो रहा था . लाइन लगी थी समस्या यह थी टिकिट उसी को मिलेगा जो सबसे बड़ा हो . तभी एक आदमी आया और उसने कहा मैं जब तक कत्ल नहीं कर लेता तब तक खाना नहीं खाता . एक बार जब कोई नहीं मिला तो अपने बाप का क़त्ल करके ही खाना खाया . कितना बात का पक्का था और उसे टिकिट मिल गया और वह विधायक बना .
यह था सपा का चरित्र उस दौर में , सरकार बनी तो सत्ता में हारे तो विक्रमादित्य मार्ग पर बंद . बस यह था सपा का कार्य . सपा का स जो समाजवादी को दर्शाता है उसका अर्थ मुलायम सिंह और दो चार के अलावा किसी को नहीं मालुम . राम मनोहर लोहिया और समाजवाद का तो सपा ने फायदा उठाया . जब सपा काशी राम मायावती को कंधे पर उठाई हुई थी और मूहँ की खाई .मायावती पर हमला और भाजपा ने मायावती को मुख्यमंत्री बना कर सपा को मात दी ,और सपा पर एक कुहासा छा गया . उस समय के मुलायम सिंह के फंड मनैजर उनके सजातीय भी धोखा दे गए . उस समय यह स्थिति थी गाहे बगाहे नेताजी की कार जो बेकार हुआ करती थी धक्का लगता रहता था .
तभी अचानक एक ओक्सिजन मिली सपा को अमर सिंह के रूप में . और अमर सिंह के साथ सपा में आया ग्लेमर , परिवर्तन . एक देहाती पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में बदलने लगी . कश्मीर से कन्याकुमारी तक अमर संग मुलायम घुमने लगे . अम्बेसडर पेजरो में बदलने लगी . जहाँ एक हैलिकोप्टर बड़ी मुश्किल से मयस्सर होता था वहां फ्लीट थी अब . पहले सिर्फ सहारा का सहारा था अब अम्बानी थे बिडला थे . पहले राजबब्बर से काम चलता था अब अमिताभ बच्चन मय परिवार थे . कम्युनिष्ट दोस्त थे . ना जाने क्या क्या मिला अमर सिंह से सपा को .
उत्तर प्रदेश जल रहा है के पोस्टर और होर्डिंग से प्रदेश पट गया ,और सपा एक नई ताकत से उभरी लेकिन सरकार नहीं बनी . कल्याण सिंह की क्रांती का फायदा उठवा कर सत्ता सुख भीगने के पीछे अमर सिंह का ही हाथ रहा . मुलायम अमर से लगने लगे लेकिन मुलायम के अलावा उनका परिवार भी अमर सुख तो प्राप्त करता रहा लेकिन उनेह खटका भी लगा रहा कहीं अमर अमर ना हो जाए कही सपा में . रामगोपाल यादव ,अखिलेश यादव ,शिवपाल यादव यादव ही यादव पचा नहीं पा रहे थे . राजबब्बर ,बेनीप्रसाद वर्मा ,आज़म खान को मोहरा बनाया जब मोहरा पिटा तो अमर को दोषी ठहरा दिया . यादव वाद तो हावी था ही यादव क्षत्रप ही सपा को हरवा रहे थे लेकिन १००% सुरक्षित रहे और गैर यादव पार्टी से निकाले जाते रहे . दोष अमर सिंह के खाते में जाता रहा .
और प्रस्थितिया इस तरह से कर दी गई कि अमर सिंह को पलायन करना पड़ा . बेचारे मुलायम खामोश है अपनी मेहनत को जाया होते देख रहे है . कहीं इतिहास फिर ना दोहराया जाए द्वापर और कलयुग का . जब कृष्ण के समय यादव निरंकुश हो गए तो कृष्ण ने ही ऐसी परस्थितिया उत्पन्न कर दी की समूर्ण कृष्ण के खानदानी नष्ट हो गए . कहीं मुलायम ने भी कोई ऐसा कदम ना उठा ले .
राजनैतिक री-अलाइनमेण्ट होना तय लगता है उत्तरप्रदेश में। ओ.बी.सी. उभरती आर्थिक शक्ति है ग्रामीण उत्तर प्रदेश में। उसे ध्वस्त आसानी से न किया जा सकेगा।
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जवाब देंहटाएंअगर दिल की मंज़िल के संकरे हैं रस्ते
मुहब्बत है पक्की हिसाब अपना अपना
मुलायम जवानी में अखाड़े में दंड पेलते रहे हैं...लेकिन अमर सिंह अचानक धोबीपाट देंगे, ये मुलायम ने नहीं सोचा होगा...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
ये राजनीति है ....... सब कुछ हो सकता है यहाँ .......... बहुत दिनों से सपा चर्चा में नही थी .......... शायद इसलिए ये शगूफा छोड़ा हो ..........
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