पहले औरत जनती थी आज आदमी जनता है
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आज़ादी के बाद नए नए शब्द गड़े जाने लगे नयी नयी वस्तुए प्रयोग में आने लगी वनस्पति घी प्रचलन में आ गया . नागरिको को जनता के रूप में शब्द प्रचलित होने लगे . कुछ कवियों ने तो कविताएं भी लिखी उनमे की दो पंक्ति यह है
पहले घी से सब्जी बनती थी
अब सब्जी से घी बनता है
पहले औरत जनती थी
आज आदमी जनता है
बहुत सही .... बिलकुल सही कहा आपने.....
जवाब देंहटाएंमुझे तो शीर्षक पढ़ते ही हंसी आ गयी.
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
maza aa gaya ..............
बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंवाह, वाह, नव कबीरदास की उलटबासियों का स्वागत है!
जवाब देंहटाएंआज आदमी जनता है
जवाब देंहटाएंस्त्री सशक्तिकरण का यही तो टंटा है :)
:) सत्य वचन्!
जवाब देंहटाएंशायद उन्हीं दिनों की बात होगी कुल्हाड़ापीर की एक दीवार पर नीली तामचीनी का एक पोस्टर लगा रहता था, किसी कंपनी का नाम नहीं, बस हाथ में प्याला लिए एक ग्रामीण का चेहरा -
जवाब देंहटाएंयह शख्स और इनके भाई
पीता है हमेशा चाय
कमाल का लिखा है ......... बहुत खूब .......
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