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आज सुबह टहल कर वापिस ही लौटे थे और अखवार पढने की कोशिश कर रहे थे तभी मोबाईल बज उठा . देखा तो अनजाने से लम्बे नम्बर से फोन था . फ़ोन उठाने पर अनजानी सी मधुर आवाज़ कानो में मिसरी घोलती सी महसूस हुई . उधर से आवाज़ आई मैं समीर लाल आपको डिस्टर्व तो नहीं किया सुबह सुबह . ऐसा लगा जैसे एक उड़नतश्तरी मेरी आँखों के सामने से तेज़ी से गुज़र गयी .
एक छण विश्वास ही नहीं हुआ . लेकिन पूर्ण चेतन अवस्था में होने के कारण मै समझ गया यह हकीकत है . बातचीत का सिलसिला चल ही पड़ा . कितना अद्बुत समय था वह . परदेश से अपने का फोन एक नई अनुभूति थी मेरे लिए . क्योकि हम ग्रामीण पृष्टभूमि के है और परदेश से ज्यादा संपर्क नहीं है .
और अब तो ऐसा है कि सात समुन्द्र पार भी अपने परिवार के लोग है . कितना सुखद है कि ब्लॉग के माध्यम से हुआ परिचय रिश्तो में बदल रहा है . और ज्यादतर रिश्ते थोपे जाते है बताये जाते है की यह तुम्हारे यह है यह है . और ब्लॉग में रिश्ते अपने आप बन जाते है कभी भी ना बिछड़ने के लिए . क्योकि इन रिश्तो में लालच नहीं होता है . और लालच रिश्तो में दरार लाता है .
ब्लॉग में रिश्ते अपने आप बन जाते है कभी भी ना बिछड़ने के लिए
जवाब देंहटाएंआपका कथन सौ प्रति्शत सही है। आभासी दुनिया के रिश्ते जब हम वास्तिवकता के धरातल पर जीते है,तो वही आनंद आता है जो हम ब्लाग पर जी चुके होते हैं, अगर ब्लाग पर किसी से कटु संबध बन गये हैं तो वास्तविक जीवन मे प्रभावित हो जाते हैं, इसलिए एक दुसरे को समझना जरुरी हो जाता है और इसके लिए आवश्यक है टेलीपोनिक चर्चा एंव आपसी मुलाकात्। इस धर्म को समीर भाई अच्छे से निभा रहे हैं, आभार
टेलीपोनिक=टेलीफ़ोनिक
जवाब देंहटाएंक्या बात है.. जब मैंने भी पहली बार उनसे बात की तो बहुत अपनापन लगा.. अब फोन हर समय पास में रखना पडेगा.. क्या पता अगला नंबर मेरा हो..:)
जवाब देंहटाएंहा हा हा मतलब एलियन जी इन एक्शन ....अजी उनके लैपटौप में वायरस घुसा है फ़ोनवा में थोडॆ ही ....सो समीर लाल फ़्रोम कनाडा...औलवेज फ़ोर यू..विद यू.....बधाई हो जी ..ये ब्लोग जगत में किसी इनाम से कम नहीं
जवाब देंहटाएंआदरणीय समीर जी , का फोन जब मेरे पास भी आया था..... तब मैं भी बहुत अभिभूत हो गया था.....
जवाब देंहटाएंसमीर जी को प्रणाम....
अच्छा लगा आपकी बात सुनकर.
जवाब देंहटाएंअब खाली ब्लॉगिंग से काम भी तो नहीं चलता।
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मानवता के नाम सलीम खान का पत्र।
इतनी आसान पहेली है, इसे तो आप बूझ ही लेंगे।
समीर भाई ब्लॉगिंग के स्तंभ हैं ........ सभी ब्लॉगेर्स को छाया देता हुवा वृक्ष ......... जय हो समीर जी की .........
जवाब देंहटाएंआपसे बात करना बहुत सुखद रहा!!
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग की दुनिया के बेताज बादशाह से बात करना बहुत सुखद अनुभव रहा होगा..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लगा आप की खुशी के बारे जान कर,
जवाब देंहटाएंसमीरलालजी एक अच्छे लेखक, कवि, साहित्यकार, ब्लागर के अलावा एक अच्छे इन्सान भी है.... यही इसका प्रमाण है॥
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