शुक्रवार, दिसंबर 25, 2009

पहले औरत जनती थी आज आदमी जनता है



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आज़ादी  के बाद नए नए शब्द गड़े जाने लगे नयी नयी वस्तुए प्रयोग में आने लगी वनस्पति घी प्रचलन में आ गया . नागरिको को जनता के रूप में शब्द प्रचलित होने लगे . कुछ कवियों ने तो कविताएं भी लिखी उनमे की दो पंक्ति यह है 



पहले घी से सब्जी बनती थी


 अब सब्जी से घी बनता है 




           पहले औरत जनती थी                        


           आज आदमी जनता है  





9 टिप्‍पणियां:

  1. ha ha ha ha ha ha
    बहुत खूब !
    maza aa gaya ..............

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  2. वाह, वाह, नव कबीरदास की उलटबासियों का स्वागत है!

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  3. आज आदमी जनता है
    स्त्री सशक्तिकरण का यही तो टंटा है :)

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  4. शायद उन्हीं दिनों की बात होगी कुल्हाड़ापीर की एक दीवार पर नीली तामचीनी का एक पोस्टर लगा रहता था, किसी कंपनी का नाम नहीं, बस हाथ में प्याला लिए एक ग्रामीण का चेहरा -
    यह शख्स और इनके भाई
    पीता है हमेशा चाय

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा