शुक्रवार, अक्तूबर 09, 2009

लंगोट ,चूहा ,बिल्ली ,गाय ,बाई जी और गुरु चेला

एक पहुचे हुए माहत्मा थे . अपने आश्रम में रहते थे एक बार उनेह तीर्थ यात्रा की सूझी उन्होंने अपने एक चेले को  आश्रम की जिम्मेदारी सौप कर चले गए . चेला आश्रम की साफ़ सफाई में व्यस्त रहा लेकिन एक बात बहुत परेशान करती थी उसका लंगोट एक चूहा काट देता था रोज़ . लोगो की सलाह पर एक बिल्ली पाल ली .

चूहे से तो निजात मिल गई लेकिन बिल्ली बेचारी भूखी रह जाती थी . लोगो की सलाह मिली एक गाय लेलो बेचारी बिल्ली पल जायेगी . गाय आ गई दूध की नदियाँ बहने लगी . अब दूध की चिंता होने लगी . सलाह देने वाले फिर आगे आये . सलाह मिली एक बाई जी ले आओ . बाई जी आ गई दूध का निस्तारण होने लगा . लेकिन बाई जी चेले को भाने लगी . समय के साथ साथ बाई  जी चेले के बच्चो की माँ बन गयी .

उसी समय महात्मा लौट के आये और चेले से पूछा यह सब कैसे हुआ चेला बोला गुरूजी सब लंगोटी का चक्कर है  और क्या

ऐसे ही बात कहां से कहां पहुच जाती है . और आज भी ऐसा ही हो रहा है . बात भी कहाँ से कहाँ तक पहुच रही है .

- वाह भाई वाह

12 टिप्‍पणियां:

  1. बेचारे गुरूजी !! बेहतर है इस आश्रम से लंगोटी को निकाल कर ही फेंक दें ।

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  2. अरे चेला जी को बोलो ध्यान से देखे लंगोटी कुतरने वाला चुहा था या चुहिया ? भाई इस लंगोटी को कही जमीन मै दवा देता, खाम्खा मै पंगा ले लिया

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  3. वाकई आज भी ऐसा ही हो रहा है . बात भी कहाँ से कहाँ तक पहुच रही है सच कह रहे धीरू सिंह जी सलीम और मेरे तो मोबाइल के पैसे खत्‍म हुये जा रहे हैं,और बात कुछ खास नहीं होती बस हंसते रहते हैं, वहां सलीम की रचना दीदी पर 13 की छाया ऐसी पडी 66 पहलवान यानी 2 छक्‍के अपने कमेंटस पे आंसू बहा रहे हैं, सबको सेव कर लिया सम्‍मान के साथ सबके घर पहुंचाये जायेगें, एक हम ही थे जिसने सलीम को कहा था यह मक्‍कार है माना नहीं बिना देखे दीदी बना लिया, आज वह भी हंस रहा है, सब प्रभु की माया है, जिसको चाहे जलील करा दे,

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  4. लंगोट की गाथा भी रोचक रही | यह लंगोट यदि कच्ची हो बहुत कुछ करवा देती है |

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  5. बड़ी दूर की गोटी, है ये लंगोटी..

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  6. गज़ब ढाया भई लंगोट के चक्कर ने!

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  7. ओह, लंगोट क्या है और बिल्ली और चूहा कौन धर्म के हैं! :-)

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  8. धीरू भाई,
    बात लंगोट तक तो सही है...लंगोटिया यार तक पहुंच जाए तो दिक्कत होगी...

    जय हिंद...

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा