जयप्रकाश जन्मजात योद्धा है , उसने अपने देश की मुक्ति के लिए सबकुछ का त्याग किया है । परिश्रम और प्रयत्न करने से वह कभी चूकता नहीं । कष्ट और यातना सहने की उसकी क्षमता का कोई जवाब नहीं ।
- - महात्मा गांधी
आज समाजवादी जन परिषद् पर जे . पी के बारे में गाँधी जी के यह विचार पढ़ कर जे . पी . और महात्मा के बीच समानताये कौंधने लगी . महात्मा और जे . पी . ने आज़ादी के लिए निस्वार्थ भाव से संघर्ष किया . बापू तो आज़ादी दिलाने के दो ढाई साल के भीतर दुनिया छोड़ गए . भारत आजाद तो हुआ स्वराज्य कुछ परिवारों का मिला . बापू का सपना उनके सामने ही टूट गया लेकिन बापू के चेलो ने उनेह पत्थर और कागजो में तो उकेर ही दिया , इसलिए आज तक बापू की स्मृति है दिमागों में .
बापू की अधूरी आज़ादी जब तानाशाही में बदल गई तभी आज़ादी के योद्धा सर्वोदय नेता जय प्रकाश नारायण ने १९७४ में गुजरात के नव निर्माण आन्दोलन में युवा और छात्रों के हाथो परिवर्तन की कमान देकर सम्पूर्ण क्रान्ति का बिगुल फूका. जो ६ मार्च १९७५ को जनसंघ के दिल्ली अधिवेशन में आकर सभी लोगो को साथ लेकर चलने का इसदा जताया . और नारा लगा सिंहआसन खाली करो की जनता आती है .
आपातकाल लागु हुआ जे पी का आन्दोलन तेज़ हुआ और सत्ता परिवर्तन के साथ जे पी के चेलो ने सत्ता सम्हाल ली . और जे पी को भूल गए . कितना दुर्भाग्य है जे पी के जिन्दा रहते हुए संसद में जे पी को श्रधान्जली दे दी गई .
गाँधी को तो उनके चेलो ने बुतों में ढलवा दिया लेकिन जे पी के चेलो ने उनेह गुमनामी में चुनवा दिया . जो जे पी भ्रष्टाचार के विरूद्व क्रांति कर बैठे आज उनके कई शिष्य भ्रष्टाचार के आइकोन बन चुके है .
आज उन्ही जय प्रकाश नारायण की जयंती है . हो सके तो उनकी भारत के प्रति बलिदानों को याद किया ही जा सकता है .
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बापू की अधूरी आज़ादी जब तानाशाही में बदल गई तभी आज़ादी के योद्धा सर्वोदय नेता जय प्रकाश नारायण ने १९७४ में गुजरात के नव निर्माण आन्दोलन में युवा और छात्रों के हाथो परिवर्तन की कमान देकर सम्पूर्ण क्रान्ति का बिगुल फूका. जो ६ मार्च १९७५ को जनसंघ के दिल्ली अधिवेशन में आकर सभी लोगो को साथ लेकर चलने का इसदा जताया . और नारा लगा सिंहआसन खाली करो की जनता आती है .
आपातकाल लागु हुआ जे पी का आन्दोलन तेज़ हुआ और सत्ता परिवर्तन के साथ जे पी के चेलो ने सत्ता सम्हाल ली . और जे पी को भूल गए . कितना दुर्भाग्य है जे पी के जिन्दा रहते हुए संसद में जे पी को श्रधान्जली दे दी गई .
गाँधी को तो उनके चेलो ने बुतों में ढलवा दिया लेकिन जे पी के चेलो ने उनेह गुमनामी में चुनवा दिया . जो जे पी भ्रष्टाचार के विरूद्व क्रांति कर बैठे आज उनके कई शिष्य भ्रष्टाचार के आइकोन बन चुके है .
आज उन्ही जय प्रकाश नारायण की जयंती है . हो सके तो उनकी भारत के प्रति बलिदानों को याद किया ही जा सकता है .
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महान त्यागी देशभक्त को शत-शत नमन !!!
जवाब देंहटाएंलोकनायक अमर रहें ।
जवाब देंहटाएंशत-शत नमन!! इस महान देशभक्त को
जवाब देंहटाएंजेपी के भक्त थे हम। पर सतहत्तर के बाद उनके चेलों (?) ने मोहभंग कर दिया!
जवाब देंहटाएंमहान समाजवादी जयप्रकाश ji को शत-शत नमन .......
जवाब देंहटाएंइससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है ? लेकिन उन्हे भुलाने मे उन्ही के वंशजो की बड़ी भूमिका है ।
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