दो चार दिन पहले हमारे शहर से एक राष्ट्रीय समाचार पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ . उससे एक फायदा हमें हुआ कि हमारे पुराने छपने वाले अखवारो की कीमत आधी रह गई . हमारे खर्चो में कटौती हो गई . अभी तक का फायदा आम पाठक को हुआ है कल यह अखवार वाले फिर मिल गए तो हमें फिर दुगना देना पड़ेगा . पर जब तक मौज ले ही रहे है .
यह तो हुआ हम जैसो को . औए फायदा तो उन लोगो को हुआ जो उस राष्ट्रीय अखवार के उद्घाटन से पहले कोकटेल पार्टियों में शामिल हुए . बढ़िया शराब बढ़िया मुर्गा बढ़िया डी. जे . . पार्टी में शराब बह रही थी हाकर से लेकर पार्टी में शामिल बिन बुलाये रिक्शे वाले , सड़क छाप प्रशंसक भी शराब का आनन्द लेते हुए इतने मस्त हो गए की डी जे फ्लोर पर ही लोट गए और कुछ लोग इतने धर्मात्मा थे जो पिया वही फ्लोर पर ही निकाल दिया .
ख़ैर उनकी लीला वह जाने अपने बाप का क्या जाता है . अपने को तो एक की कीमत में दो अखवार पढने को मिल रहे है . और एक बात और जितने का अखबार उतने की तो रद्दी हो जाती है . क्यों क्योकि अब अखबार सम्पादक या संम्वादाता नहीं निकालते महा प्रवन्धक और विज्ञापन मनेजर निकालते है .
चलिये, बढ़िया हुआ कुछ तो!
जवाब देंहटाएंभई कुछ दिन तक तो आप यह आनन्द ले ही सकते है बस 4-6 माह ।
जवाब देंहटाएंसौ प्रतिशत खरी बात्।वैसे ये चांदनी चार दिनो की ही है और हां,जितने का अख़बार उतने की रद्दी इसलिये है कि आपको दे तो रद्दी ही रहे हैं।
जवाब देंहटाएंअखबार शुरू होने की बात तो पता थी, पर काकटेल पार्टीवाली बात आप खूब लाए। वैसे कारपोरेट घरानों में किसी भी शुभारम्भ का यह सामान्य तरीका है।
जवाब देंहटाएंjai ho chautha khambha
जवाब देंहटाएं