मंगलवार, अक्तूबर 06, 2009

मेरा ब्लॉग न हुआ कूड़ा घर हो गया हो उन्होंने चेलेंज के साथ १३ बार मेरे ब्लॉग पर गंदगी फैलाई

मेरा ब्लॉग न हुआ कूड़ा घर  हो गया या मोहम्मद उमर कैरान्वी को गंदगी फैलाने का इतना शौक हो गया उन्होंने चेलेंज के साथ १३ बार मेरे ब्लॉग पर गंदगी फैलाई यह कह कर -
                
                            Mohammed Umar Kairanvi ने कहा…

13 कमेंटस के बाद आया मैं, 13 को पैदा हुआ, सुना है 13 का अंक बहुत अशुभ होता, मैं 13 को जन्‍म लिया, जिस कुप्रचारी के ब्लाग पर नजर डाली उसके शुभ दिन गये, आज मैं तुझे 13 बार यह कमेंटस दूंगा, अगर तुमने मेरे कमेंटस डिलिट किया तो इतना पेट भर दूंगा कमेंटस से कि सारे कुप्रचारियों को बुला लेना सफाई करने लिये जब भी स्‍वच्‍छ नहीं होपायेगा तेरा दरबार, इन्‍शाअल्‍लाह (अगर अल्‍लाह ने चाहा तो)

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विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

6 अल्‍लाह के चैलेंजसहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog) 




इसको मैं क्या समझू ? मेरी समझ में नहीं आ रहा ऐसा क्या लिखा मैने जो जनाब अपने पैजामे से बाहर आ गए . मैने आज तक न किसी से अपशब्द कहा न ही लिखा . लेकिन एक बात बताना भूल गया मेरा शहर एक बात में और प्रसिद्ध है वह है गाली देने में . हमारे मुहं से गालियाँ स्वतः ही निकलती बिना किसी विचार के . फिर भी मैं सयिमित  हूँ . 


सच में मोहम्मद उमर ने मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया मैने जो लिखा था पिछली पोस्ट में वह गलत थी या सही . मैं आज तक इन विवादों में नहीं पड़ा . न ही मेरी ऐसी कोई मंशा है और न ही मेरी सभ्यता है और न ही मेरे खून में यह सब गंदगी . लेकिन मो .उमर की यह टिप्पणी तो ना काबिले बर्दाश्त है . 


Mohammed Umar Kairanvi ने कहा…




मैं ऐसा क्‍या नहीं करता, लेकिन कल तुमने जूतों से साबित करना चाहा था कि केवल हिन्‍दुओं के प्रतीक चिन्‍हों के जूते आ रहे हैं, जब तुम्‍हें बताया कि मुस्लिम के भी आ रहे हैं तो तुमने डिलिट कर दिया था, उससे मैं समझ गया तुम धार्मिक नहीं कुप्रचारी हो, और कुप्रचारियों के लिये मेरा नाम अनजाना नहीं रहना चाहिये, कमेंटस गिन लो 13 हैं कि नहीं या 130 चा‍हते हो डिलिट कर देना,
13 कमेंटस मुझसे पहले 13 उनके बाद, अब आशा करो कि 13 तुम्‍हें कमेंटस करने वाले इनके बाद मिल जायें,
सांकल लगालो मुफत का मशवरा है

23 टिप्‍पणियां:

  1. किस आदमी के चक्कर मैं पड़ गए हो? हम हिन्दुओं के साथ का बड़ा दिकात ये है की जब तक अपने पे बीतती नहीं तब तक कान मैं तेल डाले रहते हैं | उमर और सलीम भाई का विरोध २-३ महीने पहले से हो रहा है ... | पर आरम्भ में उमर और सलीम का विरोध करने वालों को संघी करार दे दिया गया | अब जिनके जिनके सर पे आन पड़ी है तो वो समझ रहे हैं ......

    खैर ... इसका एक उपाय है भाई इसकी टिप्पणी प्रकाशित मत कीजिये ... अवधिया जी ने इनलोगों से आसानी से छुटकारा पा लिया है |

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  2. टुच्चे आदमी के मुंह लगने का क्या फायदा ?

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  3. किन घटिया लोगों के चक्कर में फंस गए हैं..? मैं तो अब इनकी टिपण्णी और ब्लॉग चुटकुले के तौर पर पढता हूँ | पहले मैं भी सुरेश चिपलूनकर के ब्लॉग के कई बातों से सहमत नहीं था, पर इन टुच्चों को देखकर और उनकी बात सुनकर और विचार कर मन कि वे सही हैं | स्वच्छता के नाम पर ये लोग गंदगी फैलाते हैं, और सहिष्णु नहीं, कट्टर तालिबानी हैं | इनका खुदा भी इनका भला नहीं कर सकता |

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  4. आप अपना लेखन जारी रखें, सी पर ध्यान दें और मॉडरेशन इस्तेमाल करते रहें. शुभकामनाएँ.

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  5. kya , bekar mein aise chutiyon par post likhte ho bhai ?

    inhe to publicity chahiye wo aap de hi rhe hain !

    inhe neglect karna uchit hoga .

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  6. सिर्फ़ और सिर्फ़ लिखने पर ध्यान दिजिये और फ़िर माडरेशन तो है ही।

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  7. धीरु भाई जिन के पास गंदगी है, वो तो सिर्फ़ गंदगी ही डालेगा, आप चिंता ना करे माडरेशन चालू कर दे... इन लोगो को समझाना कठीन नही, ना मुमकिन है, ओर यह अपने साथ अन्य लोगो को भी बदनाम करते है, ओर इन्हे मुंह ही मत लगाये.

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  8. बस मोडरेशन ही इसका एकमात्र हल दिखाई पडता है.....

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  9. चलो तेरहवीं तक उनक अपका साथ था
    अब भूल जाओ जो हुआ सो हुआ
    विवेक सिंह ने सटीक लेख डाला है
    मज़ा आएगा
    फ़िर मेल करूंगा

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  10. जनाब फाकिर साहब का कलाम याद आ गया:
    सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
    जिसको देखा ही नहीं उसको खुदा कहते हैं

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  11. बहुत संयम दिखाया आपने. कमेन्ट मोडरेशन चालू कीजिये. ऐसी टिप्पणियों को वापस लौटाइये.
    हाँ, एक बात है. दिनकर जी के शब्दों में;

    अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है
    पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है

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  12. "पढ़े लिखे लोग ज्यादा सांप्रदायिक होते हैं" न यकीन हो तो सर्वे करके देख लो.

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  13. किसी की भी टिप्पणी से उसके "संस्कार" और "ज्ञान" के बारे में पता चलता है… अब और क्या कहूं… सभी समझदार हैं… :)

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  14. तुम रोज अपना कव्‍वा मस्जिद की मीनार पर बिठा कर बीट कराती हो, फिर सोचती हो हम अपना विरोध भी दर्ज ना करायें, रही बात गाली देनो वालों की आपने अपने गांव की बता दूं हमार कस्‍बे में तो नमस्‍कार ही गाली से होती है, सोच लो कैराना से गालियां आयी तो गालियों से बचाव रक्षा समित‍ि बनानी पड जायेगी, कभी ऐसा हुआ तो यह atmaanad भुगतेगा,
    अंत मैं आपसे कहना है कि अपने धर्म का गुणगान करें मैं दिखाई नहीं दूंगा, इशारों में भी हम पर वार ना किजिये, आपसे दरख्‍वास्‍त है, प्रार्थना है, गुजारिश है,

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  15. @ चिपलूनकर जी से सहमत टिप्पणी से उसके ज्ञान का पता चलता है, आपने टिप्‍पनी में लिखा सभी समझदार
    अगर ऐसा है तो अवधिया जी से कहलवादो वह उपर से नीचे तक इस पोस्ट को देखेंगे और सारे समझदारों को पढकर एक पोस्ट लिखेंगे 'सब काम योजनाबद्ध हो रहा है, सारे नालायक हो गये कोई तीन हफते तक नहीं चल पा रहा,

    अंत में तुम्‍हें सीख दूंगा अवधिया जी की ताजा पोस्‍ट ना पढना वर्ना आप दंगा फसाद के अभिलाषी भी नहीं रहोगे,

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  16. धर्म के नाम पर विभाजन की मानसिकता सही नहीं ... मगर कुछ लोग धार्मिक फोबिया के शिकार हैं ... बहुसंख्यक वर्ग में इसलाम फोबिया है सो गाहे बजाहे बेतुकी बात करने वाले निकल आते हैं ... मुसलमानों me एक तबका जो खुद धर्म परिवर्तन करके आया है अपने पिछले धर्म के भाइयों पर पलटवार करने का मौक़ा नहीं छोड़ता ... कुल मिलकर दोनों ही एक वंश और मानसिकता के हैं . मज़े की बात ये है के दिलों में इतनी दूरियां बोकर और नफरतों के कीकर उगाकर रश्र्ता निर्माण और विश्व शक्ति बन्ने के स्वप्न भी बुनते हैं . धिक्कार है .

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  17. सब जगह बस यही हंगाम हो रहा है क्या हो गया है हमारी ब्लॉग दुनिया को । अरे भई इन सबको नजरअंदाज कर दो और अपने काम पर लगे रहो, जब कोई इन्हें पढ़ेगा ही नहीं तो ये कैसी भी धार्मिक, घटिया, असहिष्णुता या सांप्रदायिक बातें कर लें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। टिप्पणी में मोडरेशन का अधिकार प्रयोग करें, उसके लिये मोडरेशन लागू करने की जरुरत नहीं जहाँ धार्मिक विज्ञापनबाजी देखो वहीं उसका उपयोग कर लें। और जो मानसिक बीमार है उन्हें कितना भी ज्ञान दे दो, बेईज्जती कर दो उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। केवल इसका एक मात्र इलाज यह है कि इन लोगों के ब्लॉग पर न जायें, टिप्पणी देकर इनका और हौंसला न बढ़ायें। इनके ऊपर पोस्ट न लिखी जाये, और जहाँ भी इनकी टिप्पणी देखें उसकी भर्त्सना करें। जय हिंद

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  18. दोनों धर्म इस महान देश के अटूट हिस्सा हैं , और दोनों बच्चे ने इसी मिटटी में जन्म लिया है , और मरते दम तक साथ साथ यहीं जीना है ! फिर हंसते हुए क्यों नहीं रह सकते , बहुमत शांति से रहना चाहता है, किसी भी धार्मिक असहिष्णुता का समर्थन नहीं किया जा सकता, दोनों ही धार्मिक आस्थाओं का सम्मान सर्वोच्च और परम आदरणीय है, एक दूसरे धर्म की खिल्ली उडाने की चेष्टा, अपनी विद्वता ( मूर्खता ) विश्व के सामने प्रकट करने की चेष्टा मात्र है, और जो ऐसा करेगा वो अपने अदूरदर्शी संकीर्ण मन को ही उजागर कर रहा है !
    धर्म फिर भी सर्वोच्च ही रहेगा चाहे उसका नाम कुछ भी क्यों न हो !
    बुरा धर्म नहीं है ...बुरे हम हैं जो उसे गलत पारिभाषित करते हैं ... प्रार्थना है ...कृपया ऐसा न करें इससे आपका तो नहीं ...मगर आने वाली पीढियों का बड़ा नुक्सान होगा , हमारा बड़े होने के नाते यह फ़र्ज़ हैं की हम इन बच्चों से उनकी खिलखिलाहट ना छीने....
    सादर !

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  19. आप अपना लेखन जारी रखें, किसी के कुछ कहने से क्या होता है .......... मस्ती से अपना काम करें ........

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  20. कई दिनों बाद भाई सही है
    आत्म कथ्य कह गए
    सलीम भाई खुद को पैचान लिए रोज़ आईने
    में चेहरा देखा करो
    शायद ......?

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा