सोमवार, फ़रवरी 02, 2009

अभी उनके लिए वक्त नही हमपे

गम अब ग़मगीन नही करते

उनसे रिश्ता ही जोड़ लिया हमने

अपने अब धोखा
दे नही सकते

जब से रिश्ता तोड़ लिया हमने




बहुत दिनों तक आस मे रहे उनके

अब ख़ुद उड़ना सीख लिया हमने


किसी दिन उनको भी दिखा देंगे

आइना महफूज रख लिया हमने

वक्त आने पर एक बार मिल लेंगे

अभी उनके लिए वक्त नही हमपे

16 टिप्‍पणियां:

  1. पहली तो पंक्तियाँ ही काफ़ी हैं पूरी दास्ताँ बयां करने को. आभार..

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  2. "आइना महफूज रख लिया हमने"
    बहुत खूब .......

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  3. बहुत अच्छा... आईना संभाल के रखा है.. काम आयेगा..:)

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  4. आइना महफूज रख लिया हमने

    वक्त आने पर एक बार मिल लेंगे

    अभी उनके लिए वक्त नही हमपे


    बहुत खूब

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  5. गम से रिश्ता जोड़ लिया मैंने....और जिस से रिश्ता जुड़ जाता है उनसे दुःख नही होता सुंदर अभिव्यक्ति...."

    Regards

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  6. "वक्त आने पर एक बार मिल लेंगे

    अभी उनके लिए वक्त नही हमपे"

    कितना वक्त भेजूँ ?

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  7. वक्त होगा कभी तो एक बार मिल लेंगे
    अभी उनके लिए वक्त नही रखा "हमने"
    यह संशोधन सीमा जी ने किया है इसके लिए मै सीमाजी का शुक्रगुजार हूँ

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  8. गम से रिश्ता जोड़ लिया मैंने....वाह क्या बात है धीरू भाई, बहुत सुंदर.
    धन्यवाद

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  9. गम अब गमगीन नहीं करते?
    हम अब ताज़ीम नहीं करते!!

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  10. बहुत दिनों तक आस मे रहे उनके
    अब ख़ुद उड़ना सीख लिया हमने

    जीने की जिविशा से भरपूर सुंदर रचना ............

    कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं

    अगर चल सको तो स्वयं ही चलो तुम
    सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी ..........

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  11. ऐसे न कहो मित्र, जिनके लिये आप वक्त निकालते हैं उन्हें आप कभी भी दिल से नहीं निकाल सकते.

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  12. बहुत संदर रचना
    http://nirantar1.blogspot.com/2009/02/blog-post_03.html#comments">निरन्तर: उदीयमान और अच्छे कलमकार ब्लागरो के बारे में आज चिठ्ठा चर्चा

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा