गम अब ग़मगीन नही करते
उनसे रिश्ता ही जोड़ लिया हमने
अपने अब धोखा दे नही सकते
जब से रिश्ता तोड़ लिया हमने
बहुत दिनों तक आस मे रहे उनके
अब ख़ुद उड़ना सीख लिया हमने
किसी दिन उनको भी दिखा देंगे
आइना महफूज रख लिया हमने
वक्त आने पर एक बार मिल लेंगे
अभी उनके लिए वक्त नही हमपे
aapne bahut aachi gajal likhi hai,wah!
जवाब देंहटाएंपहली तो पंक्तियाँ ही काफ़ी हैं पूरी दास्ताँ बयां करने को. आभार..
जवाब देंहटाएं"आइना महफूज रख लिया हमने"
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .......
बहुत-बहुत संदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा... आईना संभाल के रखा है.. काम आयेगा..:)
जवाब देंहटाएंआइना महफूज रख लिया हमने
जवाब देंहटाएंवक्त आने पर एक बार मिल लेंगे
अभी उनके लिए वक्त नही हमपे
बहुत खूब
गम से रिश्ता जोड़ लिया मैंने....और जिस से रिश्ता जुड़ जाता है उनसे दुःख नही होता सुंदर अभिव्यक्ति...."
जवाब देंहटाएंRegards
"वक्त आने पर एक बार मिल लेंगे
जवाब देंहटाएंअभी उनके लिए वक्त नही हमपे"
कितना वक्त भेजूँ ?
सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंवक्त होगा कभी तो एक बार मिल लेंगे
जवाब देंहटाएंअभी उनके लिए वक्त नही रखा "हमने"
यह संशोधन सीमा जी ने किया है इसके लिए मै सीमाजी का शुक्रगुजार हूँ
गम से रिश्ता जोड़ लिया मैंने....वाह क्या बात है धीरू भाई, बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
गम अब गमगीन नहीं करते?
जवाब देंहटाएंहम अब ताज़ीम नहीं करते!!
वक्त आयेगा मित्र।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों तक आस मे रहे उनके
जवाब देंहटाएंअब ख़ुद उड़ना सीख लिया हमने
जीने की जिविशा से भरपूर सुंदर रचना ............
कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं
अगर चल सको तो स्वयं ही चलो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी ..........
ऐसे न कहो मित्र, जिनके लिये आप वक्त निकालते हैं उन्हें आप कभी भी दिल से नहीं निकाल सकते.
जवाब देंहटाएंबहुत संदर रचना
जवाब देंहटाएंhttp://nirantar1.blogspot.com/2009/02/blog-post_03.html#comments">निरन्तर: उदीयमान और अच्छे कलमकार ब्लागरो के बारे में आज चिठ्ठा चर्चा