आपके "डायपर भेजू" को मेरी ढेरों शुभकामनाएं मैं तो सोच रहा हूँ की अब कोरियन पढ़ना छोड़कर पैंटी, चढ्ढी, कच्छे और डायपर का ही बिजनेस शुरू किया जाए बड़ी बूमिंग इंडस्ट्री है जी.
आपके "डायपर भेजू" अभियान को मेरी ढेरों शुभकामनाएं मैं तो सोच रहा हूँ की अब कोरियन पढ़ना छोड़कर पैंटी, चढ्ढी, कच्छे और डायपर का ही बिजनेस शुरू किया जाए बड़ी बूमिंग इंडस्ट्री है जी.
वाह, बिल्कुल सही लिखा है !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा आपने, मजा आ गया।
अगर वेलेण्टाइन दिवस आ गया तो बाल दिवस इज नॉट फार बिहाइण्ड। आता ही होगा।
जवाब देंहटाएंsundar chittha, sundar vichaar, sundar pravah
जवाब देंहटाएंbaal diwas ka intezaar rahega...chaliye atleast kuch logo ko dipar nahi kharidna padega..
जवाब देंहटाएंआपके "डायपर भेजू" को मेरी ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमैं तो सोच रहा हूँ की अब कोरियन पढ़ना छोड़कर पैंटी, चढ्ढी, कच्छे और डायपर का ही बिजनेस शुरू किया जाए
बड़ी बूमिंग इंडस्ट्री है जी.
आपके "डायपर भेजू" अभियान को मेरी ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमैं तो सोच रहा हूँ की अब कोरियन पढ़ना छोड़कर पैंटी, चढ्ढी, कच्छे और डायपर का ही बिजनेस शुरू किया जाए
बड़ी बूमिंग इंडस्ट्री है जी.
bahut badhiya sateek .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर धीरू भाई,जब यह वेलेण्टाइन इस ढंग से मनायेगे तो... बाल दिवस भी आया के आया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
पता नही आप का फ़ीड मेरे यहा नही आया,
प्रेम पर्व पर आपकी रचना अच्छी लगी..ऐसे ही सफर जारी रखिये..
जवाब देंहटाएंLAZABAAB TEEKHA DHARDAR VYANG BADHAI mere blog par padhar kar sukh ki paribhasha padhen swagat hai
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