लोकतंत्र मे राजनीति शब्द एक विरोधाभास नही लगता आप को । राजनीति की जगह लोकनीति या जननीति बनती या होती तो यह दुर्दशा नही होती अपने भारत की । लेकिन सामन्तवादी या कहे राजशाही से प्रेरित तत्कालीन हुक्कमरानो ने राजनीति को अपनाया । उस नीति को जो येन केन प्रकारेण सत्ता के सुख भोगने के लिए किसी भी कीमत पर राज तक पहुचाये ।
आम आदमी के लिए आज तक पहेली ही है यह राजनीति । कितनी लुभावनी कितनी हमदर्द हकीकत एकदम उलट ,एक मायाजाल है जो सुनहरे सपने दिखा कर पूरे ५ साल तक तडपाती है और इस आस मे अब धोखा नही दूंगी अगले ५ सालो के लिए तडपता छोड़ जाती है ।
बेचारा आम आदमी परिवर्तन के लिए चुनता है अपने जैसा एक आम आदमी लेकिन राजनीति जब उसे ख़ास का अहसास कराती है तो वह आम आदमी सत्ता के हरम खो जाता है और चुनने वाला बेचारा आम आदमी अपनी किस्मत को कोसता हुआ फ़िर राजनीति के चंगुल मे न फसने का इरादा करता हुआ राजनीति की मोहनी रूप मे फ़िर से फस जाता है ।
यदि जननीति या लोकनीति होती तो शायद आम से खास बनने वाला भी दो बार सोचता चलो उनको भी सुख दे जिन्होंने हमें अपने सेवा के लिए नियुक्त किया है । आएये सोचे एक ऐसी जननीति की जो लोकतंत्र मे लोक के हित के लिए हो न कि उनके तथाकथित सेवको के लिए जो जाति,धर्म की आड़ लेकर राज स्थापित करते सत्ता का सुख भोगते है ।
सही है जनता के वोटो से जीतने वालों के लिए जननीति ही सही रहता लेकिन ये नेता राजनीती ही कर रहे है जिसमे जनता की सेवा का नाम तो लिया जाता है लेकिन सेवा के बदले सिर्फ़ राज किया जाता है !
जवाब देंहटाएंयह सब जनता के हक को मार कर खा रहे है ऎश कर रहे है जिस जनता ने इन्हे राज दिया उसे ही सता रहे है, जिस का अन्त बहुत बुरा होता है...
जवाब देंहटाएंइन का अन्त इन की पीडिया भुगतेगी.
जननीति की बहुत जरुरत है..विचारणीय.
जवाब देंहटाएंसही कहा भाई
जवाब देंहटाएंशौक और नखरे तो हमारे नेताओं के राजा महाराजाओं की तरह ही हें, क्या कहें? समझ नही आता की वो जनता के सेवक हें या जनता उनकी!
जवाब देंहटाएंpriy bandhu bhai dheeru singh ji ---aaj matr kahne bhar hetu loktantr hai or rajniti yaa janniti yaa lokniti kaa to door door tak naamo nishaan hi najar nahi aataa ,mere vichar se to lok tantr ko bhog tantr or rajniti ko bhrsht neeti ,evn lokniti ko bhogniti ,or janniti ko jangniti kahe to jyaada achchha lagegaa ,aaj loktantr ke shashan kartaa to dictators se bhi aage nikal chuke hain ye 5varsh me aik baar hath jodkar or hamaare adhikaar ko chheen kar le jaate hain or ye sab ham inko paros kar sway
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