आज मैं शिकार पर निकला हूँ पूरी तैय्यारी के साथ कागज कलम ले कर पूरी मुस्तैदी से । आज मुझे तलाश है एक अच्छे विषय की जो सच मे अच्छा हो लोगो के समझ मे आए ।
सड़क पर अट्टालिकाये लुभा रही है महलनुमा मकान आकर्षित कर रहा है उस पर लिखू कैसे सेठ की कार पहली मंजिल पर पहुच जाती है
या कल तक पंचर जोड़ने वाला आज का करोड़पति विधायक सांसद बनने के लिए अभी से लाखो रुपया बहा रहा है
या कल पुलिस को देख कार भागने वाला आज पुलिस के गनर के सुरक्षा मे अपनी पेजरो मे बैठ सायरन बजाता जा रहा हो ।
या दो अधनंगे बच्चे कूडे के ढेर मे कुछ तलाश रहे है हर पन्नी को अपने कब्जे की होड़ मे हाथापाई की नौबत तक तेजी दिखा रहे है एक बचा हुआ बिस्कुट के पैकेट को देख कर उनके चेहरे पर आई मुस्कान पर
विषय की खोज अभी तक पूरी नही हो पाई है आतंक ,पब ,गाँधी ,कल्याण मुलायम ,पहेलिओं के बीच अपने खोने के डर से मे भाग रहा हूँ विषय की खोज मे लेकिन गरीबी ,भूख ,सूखा, अकाल को विषय बनाना नही चाहता क्योंकि जब जब यह विषय बना तब तब पढ़ा नही गया और जब पढ़ा नही गया तब क्रान्ति का कारण बना ।
धीरू जी
जवाब देंहटाएंन likhte huve भी bahoot कुछ लिख दिया, शायद यही एक अच्छे लेखक की pahchan है.
bahoot peni कलम से लिखा acha vyang
अनकहा कह दिया आपने ...
जवाब देंहटाएंधीरू सिंह जी बिना विषय चुने ही बहुत कुछ कह दिया आपने |अपने आस पास इस तरह आगे बढे लोगो की सारणी बनाये तो काफी लम्बी बन जायेगी |
जवाब देंहटाएंक्या इस तरह से ब्यंग कसी जाती है मुझे तो पता ही नही था,मान गए आपको बहोत ही बढ़िया लिखा आपने ब्यंग कसना तो कोई आपसे सीखे .. ढेरो बधाई आपको साहब... अब तबियत कैसी है आपकी..????
जवाब देंहटाएंआपका
अर्श
सडक पर निकले हो तो सडक पर ही लिख मारो:) आखिर बेचारी सडक- जिसे लाखॊं पैर कुचलते हैं, करोडों पहिए रोलते निकलते है न जाने कितने जानवर लीद छोडते भागते हैं.....भई विषय और भूमिका तो मिल गई.. अब आगे जानें....
जवाब देंहटाएंकैसे लिखूं....कहते कहते सारा लिख ही डाला....अच्छा लगा पढकर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे विषय पर लिखा आपने भाई| बहुत बढ़िया|
जवाब देंहटाएं'विषय की खोज वो भी जो अधूरी रह गयी....ख़ुद ही एक विषय बन गयी...वाह..."
जवाब देंहटाएंRegards
इसे कहते हैं लिखना और विषय्। शानदार्।
जवाब देंहटाएंआपने तो गागर मे सागर वाली बात कर दी । चार लाइनो मे जहान भर कि बाते कह दी । अच्छा लगा पढ कर ।
जवाब देंहटाएंआप भी विषय की तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। हम तो अक्सर गुजरते हैं इस दौर से।
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