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फागुन जैसे उपहारों का मौसम हो गया . जगह जगह सम्मान बटने लगे फलाना फलाना ...... अपनी किस्मत में तो सम्मान का योग बनता नहीं दिखता लेकिन उपहार तो छप्पर फाड़ के मिल ही सकते है . जो आज ही मिल गया मुझे .
कई दिनों से अपने पिताजी से एक वाहन की मांग सरका दी थी . और जिद की हद तक मांग को पेश किया . एक कार बढिया सी ,अपने आकार के कारण कारे छोटी सी महसूस होने लगी . इसलिए कुछ बड़ी कार की दरकार थी इसलिए कुछ माडल छाटे गए एस यु वी सपने में आने जाने लगी . इस्कर्पियो ,सफारी ,इन्डिवर जैसी कारे लुभाने लगी . बहुत मशक्कत के बाद बात कुछ बनती दिखी . आज वह घडी आ गई और एक नयी टाटा सफारी पिताजी की तरफ से उपहार स्वरुप प्राप्त हो गयी .
खैर आनंद ले रहे नयी सफारी का फागुन में , धन्यवाद शब्द बहुत छोटा लग रहा है उपहार के लिए . कभी कभी लगता है लायक बाप के यहाँ पैदा होने के कितने फायदे है .
अरे मौज है आपकी. हार्दिक बधाइयां!
जवाब देंहटाएंधीरू सिंह बहुत बधाई, लेकिन लायक बेटे भी बनाना तभी मजा है जिन्दगी का, हम भी कभी बेठे के आप की इस कार मै वादा है
जवाब देंहटाएंबढ़िया ऐश है यार..बहुत बधाई. चलो, अब आयें तो आपकी सफारी में घूमा जायेगा. :)
जवाब देंहटाएंभाटिया जी और समीर जी के साथ मैं भी हूं. बधाई.
जवाब देंहटाएंलेपटोप के बाद अब कार.. वाह जी वाह..
जवाब देंहटाएंजय हो... पिताजी की...
हम आ रहे है.. घूमने का प्लान बना लीजिए..
जवाब देंहटाएं.... बहुत खूब ...हो जायेगी बल्ले-बल्ले ...बल्ले-बल्ले !!!
जवाब देंहटाएंधीरू भैया, बधाई हो..
जवाब देंहटाएंनया लैपटाप, नई गाडी
वैसे जयललिता जी की पसंदीदा गाडी भी यही टाटा सफ़ारी ही है, खूब जमोगे। पुन: बधाई।
वाह, बधाई!
जवाब देंहटाएंमौज है धीरू जी ... सफारी का आनंद लीजिए ... बहुत बधाई ...
जवाब देंहटाएंबड़े खुशनसीब हैं आप हमने तो अपनी पहली साइकिल भी अपनी मेहनत की कमाई से खरीदी थी ।
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