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क्या समय आ गया है कि छद्म नामो से ब्लॉग लिख रहे लोगो पर रोक लगानी चाहिए . जो व्यक्ति सही पहचान नहीं बता सकता उसे हक़ भी नहीं हो ब्लोगिंग करने का .
ऐसे कौन से कारण है जो लोग उपनामों से लिखते है और अपनी पहचान छुपाना चाहते है .ब्लॉग लिखने पर शायद कोई पाबंदी भी नहीं है सरकारी या गैरसरकारी विभागों में . या तो वह अपने को श्रेष्ट समझते है या पढने वालो को बेबकूफ़ जो ऐसा करते है .
क्या कोई ऐसा नियम हो जो ब्लोगर को अपना पहचान प्रमाणित अनिवार्य करे .
मेरे विचार से तो ब्लॉग लिखने वालो को अपनी पहचान छिपानी नहीं चाहिए . जो खुलकर सामने आने से डरते है वह ब्लोगिंग करते क्यों है . यह कुछ सवाल दिमाग [?] में उठे तो मैंने यहाँ बैठा दिए .अब आपकी राय जानना चाहता हूँ .
सहमत हैं ।
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ आपसे ।
जवाब देंहटाएंप्रायः यूज़र नेम और वास्तविक नाम इन दोनों में नए लोग अंतर नहीं कर पाते हैं. सभी के पास कैमरे वाला मोबाइल नहीं होता, अतः फोटो उपलोड की भी समस्या बनी रहती है.
जवाब देंहटाएंहाँ जो साधन विहीन नहीं हैं, वे डरते हैं कि कहीं कोई उनकी जानकारी का अनुचित लाभ न उठा ले.
क्या आप स्पैम में मिलने वाले इ-मेल नहीं पढ़ते हैं जो आपकी व्यक्तिगत जानकारी चाहते हैं.
हाँ जो बहादुर और बेवकूफ होते हैं वही अपने बारे में नेट पर बताते हैं.
जैसे मैं पहले बहुत डरता था, पर धीरे-धीरे सभी को अपना नाम बताते देख कर हिम्मत बंधी. पर अभी सलीम खान और चिपलूनकर सा बहादुर नहीं हूँ. :)
रोक नहीं लगाना चाहिए, वरना हमारा क्या होगा कालिया ?
जवाब देंहटाएंमेरा क्या होगा ?
जवाब देंहटाएंबात तो आपकी सही है.....
जवाब देंहटाएंछद्म नाम से जिस दिन ब्लागिंग बन्द हो जायेगी उस दिन ब्लागिंग की मूल भावना से समझौता हो जायेगा और इस विधा के उल्टे दिन शुरू हो जायेंगे। आपको समस्या है तो न पढें छद्म नामों वाले ब्लाग और न ही लिखें और न ही अपने चिट्ठे पर टिप्पणी करने दें। जिन्हे स्वतन्त्रता है छद्म नाम से लिखने की, उनकी स्वतन्त्रता से आपको क्यों तकलीफ़ हो रही है ?
जवाब देंहटाएंनीरज रोहिल्ला जी ने बहुत कुछ कह दिया।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
ज़रा सामने तो आओ छलिए,
जवाब देंहटाएंछुप-छुप छलने में क्या राज़ है,
यू छुप न सकेगा परमात्मा,
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है...
जय हिंद...
nice
जवाब देंहटाएंनीरज से सहमत.
जवाब देंहटाएंमुद्दा अपनी पहचान छुपाने या ना छुपाने से ऊपर का है ! ब्लॉग्गिंग आपको लेखन की स्वतन्त्रता देती है ...पर कभी कभी लोग इस बेनामी-पण का दुरूपयोग भी करते दिख जाते हैं ....सो आपके विचार सही लगते हैं !
जवाब देंहटाएं...मैं समझता हूँ कि बात मुद्दों पर हो तो कोई पहचान के प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है ......पर कोई अगंभीर पहल करे तो क्या करें मजबूर होना पड़ता है आपका समर्थन करने के लिए !
वैसे भी लंबे समय तक वही बेनामी टिके हुए हैं जो सकारात्मक लेखन कर रहे है .....बकिया तो कितने आये ....और कितने चले गए !
क्यों साहब हमसे कौनौ भूल भई का? जो हमार हुक्का पानी बंद काराए पे तुले हाउ? रहम करब माईबाप!
जवाब देंहटाएंहमसे का भूल हुई जो यह सजा हमका मिली :( वैसे शेख पीर मतलब शेक्सपीयर महाराज कह चुके हैं कि नाम में क्या रखा है :)
जवाब देंहटाएंस्वयं को गुमनाम रखने के पीछे भी कोई कारण रहता होगा। यह तो वही बता सकते हैं। इस समस्या पर चर्चा होनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंछद्म नाम से जिस दिन ब्लागिंग बन्द हो जायेगी उस दिन ब्लागिंग की मूल भावना से समझौता हो जायेगा और इस विधा के उल्टे दिन शुरू हो जायेंगे। आपको समस्या है तो न पढें छद्म नामों वाले ब्लाग और न ही लिखें और न ही अपने चिट्ठे पर टिप्पणी करने दें। जिन्हे स्वतन्त्रता है छद्म नाम से लिखने की, उनकी स्वतन्त्रता से आपको क्यों तकलीफ़ हो रही है ?
जवाब देंहटाएंsahmat
भाई छदम नाम काहे का? ये तो ट्रेडमार्क है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
मजे की बात ये कि छद्म नामों से चलने वाले ब्लॉग भी खासे लोकप्रिय हैं…। सभी को याद होगा पिछले IPL के दौरान क्रिकेट और टीम की अन्दरूनी खबरें लाने वाला Fake IPL प्लेयर ब्लॉग जबरदस्त लोकप्रिय हुआ था…। यदि कोई शासकीय कर्मचारी अपने को छिपाते हुए ब्लॉगिंग करना चाहता है तो कोई बुराई नहीं… छद्म ब्लॉग्स पर यदि गाली-गलौज, पोर्न सामग्री और आपसी लड़ाई-झगड़े न होकर सार्थक लेखन हो तो छद्म नाम से लिखने में कोई हर्ज नहीं है… हिन्दी ब्लॉग जगत में ही कई छद्म नामों से चलने वाले अच्छे ब्लॉग भी हैं…। आप इस बात से भी तो आश्वस्त नहीं हो सकते कि अगले व्यक्ति ने जो फ़ोटो लगाई है वह उसी की है या उसके पड़ोसी की… :)
जवाब देंहटाएंछद्म-नाम से ब्लॉग लिखने में हर्ज़ ही क्या है? खासकर तब जब कई छद्म-नामधारी बहुत अच्छा लिखते हैं. क्या फर्क पड़ता है कि मुझे लिखने वाले का सही नाम मालूम है या नहीं? छद्म-नाम से न लिखने की बात/सलाह शायद हिंदी ब्लागर्स के तथाकथित घर-परिवार वाले वातावरण से उपजी है. ब्लॉगर सम्मलेन और फोटो खिचाई कर पोस्ट टांकने की वजह से उपजी है.
जवाब देंहटाएंjeeraj aur shiv kumar ji se sehmat
जवाब देंहटाएंशिव मिश्रा जी से सहमति.. अगर पहचान जरुरी हो गई तो मुद्दा गौण हो जाएगा..
जवाब देंहटाएंनीरज shukriyaa meri baat ko shabd daenae kae liyae
जवाब देंहटाएंबेनामी पर रोक तो लगाई नहीं जा सकती पर उसकी प्रतिबद्धता पर सन्देह सदैव होता है!
जवाब देंहटाएंहम 'धीरू सिंह ' या 'राजेश ' को गैर-छद्म नाम किस आधार पर मान लेते हैं ?
जवाब देंहटाएंनहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता बू हू हू हू
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ आपसे ।...लोगो को भी ऐसे ब्लॉग को बढ़ावा नहीं देने चाहिए ....
जवाब देंहटाएंलोगों को स्वतंत्रता होनी चाहिए अपनी तरह से अभिव्यक्त होने पर .....
जवाब देंहटाएंकिसी का नाम पता लेकर हम क्या करेगें ?
अचार डालेगें ?
सबसे सहमत हूँ...
जवाब देंहटाएं- ,, -
जवाब देंहटाएंअफलातून जी से सहमत
जवाब देंहटाएंअभी असल नाम की मॉंग है फिर उसके प्रमाणीकरण की होगी वोटर कार्ड, पैन नं, राशन कार्ड, गैजेटेड आफिसर से सत्यापित फोटो, थर्ड पार्टी इंश्
योरेंस ...
क्या क्या जांचेंगे ब्लॉग पढ़ने से पहले... हम पाठक हैं चौराहे या खड़े ट्रेफिक के सिपाही :)
अच्छा लिखना होना चाहिए ... क्या फ़र्क पढ़ता है असली नाम से लिखा हो या नही ............
जवाब देंहटाएंमहफूज़ अली की बात से सहमत....
जवाब देंहटाएं;)
नीरज रोहिल्ला जी से सहमत हूँ, एनोनिमस ब्लॉगिंग का कुछ लोग अनुचित फायदा उठा सकते हैं, लेकिन केवल इसी बात पर अनाम ब्लॉगिंग पर रोक लगाना तार्किक नहीं कहा जा सकता।
जवाब देंहटाएंमुद्दा अच्छा है लेकिन सब के अपने-अपने विचार हो सकते है. छद्म नाम से ब्लोगिंग करने वालो का भी कोई कारण हो सकता है. अच्छे लेखन के लिए बधाई. बहुत ही ज्यादा अच्छा विषय और आपकी कलम और हौसले को सलाम. कभी समय निकाल कर मेरी गुफ्तगू में भीशामिल हो.
जवाब देंहटाएंwww.gooftgu.blogspot.com
दिगम्बर नासवा ji se sahmat hun....
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखना होना चाहिए ... क्या फ़र्क पढ़ता है असली नाम से लिखा हो या नही ............