आस्ट्रेलिया एक गुलाम देश है उसके गुलाम नागरिक अपने को महान साबित करने के लिए हमले कर रहे है हम आजाद देश के नागरिको पर । हमारे बच्चे पढ़ाई के लिए वहां पर है और उन पर हमला हो रहा है और हमारी सरकार कोई कठोर कदम नही उठा रही है । जय हो विदेश नीति की ।
दुनिया के छोटे से छोटे देश आज आजाद है लेकिन आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की राष्ट्र अध्यक्ष आज भी बिर्टेन की महारानी है । यह गोरी चमडी के गुलाम मानसिकता के लोग अपनी गुलामी में खुश है ।
आस्ट्रेलिया पर भारत को अपनी तरफ से लगाम कसनी चाहिए । उसका बहिष्कार होना चाहिए ख़ास कर क्रिकेट में भी । हमारी टीम एक देश के ख़िलाफ़ खेले नाकि दुसरे देश के गुलाम देशो के साथ भी । कठोर कदम उठाना ही चाहिए सरकार को ।
और आख़िर में श्री अमिताभ बच्चन को सलाम उन्होंने आस्ट्रेलिया में हो रहे भारतीयों पर अमानवीय व्यवहार के कारण वहां का सम्मान ठुकरा दिया । ऐसी ही इच्छा शक्ति भारत सरकार को दिखानी चाहिए ।
अमिताभ को सलाम मैं भी करता हूं, इस कदम के लिए। जलियांवाला बाग की घटना याद आ गई। उस नृशंस नरसंहार के बाद रबींद्रनाथ टैगोर ने भी ब्रिटिश सरकार को 'सर' की पदवी लौटा दी थी।
जवाब देंहटाएंअंस्ट्रेलिया तथा अन्य देशों में बसे भारतीयों को एक-जुट होकर आत्म-रक्षा कर प्रयास करना चाहिए। वे निरीह बने रहेंगे तो इस तरह की घटनाएं बारबार होंगी। यदि दो चार गोरे आस्ट्रेलियाई युवकों की भी चमड़ी उधेड़ डाली जाए, तो उनमें भगवान का खौफ बैठ जाएगा, और वे ऐसी हिम्मत दुबारा नहीं कर पाएंगे।
इससे पहले हमें एक काम और करना पड़ेगा। हमारे स्कूल-कालेजों में रैगिंग के नाम पर जो राक्षसी वारदातें होती हैं, उन पर रोक लगाना होगा। उसके बाद ही हमें आस्ट्रेलियाइयों पर उंगली उठाने का नैतिक अधिकार प्राप्त हो सकेगा।
सही कहा आपने... तथाकथित विकसित देश भी ऐसी चीजों से अछुते नहीं है..
जवाब देंहटाएंबड़े भाई को नमस्कार,
जवाब देंहटाएंसारी बातें तो ठीक है और अमिताभ बच्हन
जी को साधुवाद देता हूँ उनके साहसिक कार्य के लिए
मगर क्या आप ये नहीं सोचते के ये सारी चीजे वो
भारत से ही सीखे है ... जब यहाँ के जब बिहारी या उत्तरप्रदेश के छात्रो पे ऐसे हमले होते है तो किसने रोका ... मैं तो कहूंगा के हमें पहले अपने को ही रोकना होगा...
धीरू जी ............ ये न सिर्फ गुलाम हैं बल्कि वो गुंडे, चोर, लुटेरे लोग भी हैं जिनको अंग्रेजों ने सज़ा के तौर पर वहा भेजा था........... ये लड़ाई झगडे में आज भी ज्यादा विशवास करते हैं............. भारत सरकार को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए और हर स्टार पर इसका विरोध होना चाहिए
जवाब देंहटाएंबालसुब्रह्मण्यम सही कह रहे हैं। अपने देश में रैगिंग पर भी ऐसी पुकार मचे।
जवाब देंहटाएंधीरु जी अच्छा लगा जानकर की आप आस्ट्रेलिया मे हो रहे भारतियो पे हमले से काफी नाराज है, होना भी चाहिये । लेकीन बहिष्कार के लिए खेल को न जोङे । अगर आप आस्ट्रेलिया का विरोध करना ही चाहते हो, तो कोई और रास्ता बतांये । क्योकी खेल से अछ्छे रिस्ते बनते है, आप इससे तोङने की बात ना करे। सार्थक लेख
जवाब देंहटाएंदूसरों में दोष ढूंढने से कहीं बेहतर है कि पहले हम अपने अन्दर झांक कर देख लें......आज जब अपने इस आजाद देश में ही एक प्रांत से जब दूसरे प्रांत के लोगों को पीट पीट कर खदेडा जाता है और प्रशासन तथा समाज मूकदर्शक बन कर तमाशा देखता है, तो किस नैतिक अधिकार के तहत हम लोग आस्ट्रैलिया को इस प्रकार की घटनाओं के लिए दोषी ठहरा सकते हैं।
जवाब देंहटाएंये तो एक तरह से वही बात हुई कि खुद मियां फजीहत,औरों को नसीहत
बालसुब्रह्मण्यम जी के विचारों से मै भी सहमत हूं !
जवाब देंहटाएंaapkee baatein bilkul theek hain...sab kuchh bilkul waisaa hee hai jaise manse ne pichhle dino mahaaraashtra mein kiya.....jo bhee ho baat chintaajanak hai....
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