पैसो की दौड़ तो नहीं कह सकते लेकिन परिस्थितिया ने हमें अलग कर दिया कुछ समय के लिए ही | हुआ यह मेरी पत्नी को प्रवक्ता पद पर चयन हुआ लेकिन पोस्टिंग मेरे शहर से काफी दूर हुई है . एक महाविद्यालय में प्रवक्ता पद सम्मान की तो बात है ही और कह सकते है जो जीवन में आपने जो लिखा पढ़ा है उसे सीखाने को आपको मौक़ा मिला है . डिग्री ,टॉप ,पी.एच .डी और उसके बाद चुल्हा चौका शायद प्रतिभा के साथ अन्याय हो सकता है लेकिन ..........
मेरी शादी जब हुई तो बी एस सी पास पत्नी मिली मेरे पिता जी को अपनी बहू में पढने की लगन देखते हुए एम् एस सी बोटनी कराई जो विश्व विद्यालय में टॉप करने पर पी एच डी के लिए प्रेरित किया . फिर अंशकालिक प्रवक्ता के रूप में ५ साल महाविद्यालय में कार्य किया लेकिन यह सब घर में रहते हुए हुआ . अब यह जो खुशी मिली है इसे हम मना नहीं पा रहे है . अपना घर छोड़ कर दूसरे शहर में नौकरी हम जैसे प्रष्टभूमि वालो के लिए बेहद मुश्किल है और उस पर यह ताने क्या कमी है जो बहू शहर से बाहर घर छोड़ रहे . वैसे मेरे घर में मेरे पिता जी मैं और मेरी बेटी जो पहले से ही बोर्डिंग में है और अपनी पढाई कर रही है . घर की एक मात्र महिला सदस्य के होने के कारण परेशानी तो निश्चित ही है खासकर मेरे पिताजी को .
एक वेदना तो है विछोह की ,परिस्थितियां कब तक सामान्य होगी पता नहीं लेकिन परिवार से दूर वह भी महिला सदस्य का समाज में तो स्वीकार्य नहीं है अभी तक . मैं भी अपने को शिफ्ट नहीं कर सकता वहां क्योकि मेरा शहर मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है और सबसे बड़ी ताकत भी . व्यवहार और व्यापार को त्यागना असंभव है .हमारी भी किस्मत देखिये घर में चार सदस्य है ओर चारो अलग अलग ............ खैर भविष्य के गर्भ में क्या है समय बताएगा ?
बधाई स्वीकार करिये जी, चुपचाप। पार्टी वार्टी न मांग बैठें हम लोग, इसलिये इमोशनल कर रहे हैं हमें। आप ये सोचें कि ज्ञान का प्रकाश फ़ैलाने का मौका मिला है आपके परिवार को। प्रतिभा को घर में बंद नहीम रहने देना चाहिये जब कि आपके पिताजी की ही इच्छा से आगे की पढ़ाई वगैरह हुई है। और फ़िर, कल को यदि किसी कारणवश दिक्कत बनती भी है तो घर का आप्शन तो खुला ही है।
जवाब देंहटाएंसेलीब्रेट करो धीरू भैया।
सबको कभी ना कभी ऐसे दिंन देखने पड़ते है , पर आप निराश ना होईये हिम्मत से काम करिये ।
जवाब देंहटाएंबधाई हो..
जवाब देंहटाएंख़ुशी के साथ दर्द भी ..........
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई हो । हर वरदान में भगवान की कुछ योजना छिपी है, स्वीकार कर लें ।
जवाब देंहटाएंभाई अब हम इस बारे मै क्या कहे, आप पिता जी से ही सलाह करे तो अच्छा है, वेसे हमारे यहां बहुत सी पढी लिखी महियलाये घर समभालती है.चुल्हा चोंका भी करती है, वेसे दिल छॊटा ना करे कोई रास्ता निकल ही आयेगा
जवाब देंहटाएंबधाई!
जवाब देंहटाएंshirshak ka chayan tarif-e kabil hai.....waise aapko yaad hi hoga "as u like it ",
जवाब देंहटाएंhardik badhai or shubhkaamnayen.......
आज के दौर में ऐसा शायद सब के साथ ही होता है .. पर समय बदलता रहता है चिंता न करें ......
जवाब देंहटाएंआप अच्छे दिल वाले हैं धीरू सिंह जी ! आज के समय में यही कम मिलता है, जो अभाव आपको लग रहा है वह अभाव कैसे ?? " कर्मण्ये वाधिकारस्ते ..." शीर्षक क्या बुरा रहेगा ! एक दिन बिटिया भी नाम करेगी, आपकी धर्मपत्नी विद्वान् हैं उन्हें यह मौका देकर उनका श्रम आपने सार्थक कर दिया !
जवाब देंहटाएंआप योग्य हैं , शुभकामनाएं !
आपकी बातें मन को छू गयीं। पर यकीन रखें, कोई भी वक्त बहुत दिनों तक नहीं रहता, चाहे अच्छा हो या फिर बुरा।
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कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
आपकी परेशानी जायज़ है...स्वाभाविक है ...लेकिन ये मान के चलिए के जो होता है अच्छे के लिए ही होता है...बस. फिर सब ठीक हो जायेगा.
जवाब देंहटाएंनीरज
बधाई...
जवाब देंहटाएंकोई नहीं जी... अब आपको ब्लोगिग के लिए फुल टाइम मिलेगा..:)
बधाई! और मुश्किल का समाधान तो समय के साथ बहने से मिलेगा।
जवाब देंहटाएंबधाई! मुश्किलें समाधान के साथ ही आती हैं।
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