इसे कहते है सशक्त विरोध . नितीश कुमार बहुत दिनों से चूहा व्यंजन को महत्ता दे रहे थे . चूहा बर्गर ,चूहा सैंडविच और ना जाने क्या क्या . इससे चूहों में आक्रोश था और इसके विरोध के लिए चूहा संघ ने अपने क्रांतिकारियों को नियुक्त किया . उसका परिणाम यह हुआ नितीश कुमार की ऊँगली काट कर सांकेतिक रक्त सहित विरोध का प्रदर्शन किया . काटा कही भी जा सकता था . फिर भी चूहों ने मर्यादा में रहते हुए कार्य किया . और आगाह किया है अभी तो ली अंगडाई है आगे बहुत लड़ाई है .
चूहों की जीवटता को देखकर एक हलचल सी मची है चारो तरफ यही हल्ला है ऊँगली ही क्यों ...............
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आखिर यही प्रश्न आपको भी उद्धेलित कर रहा होगा . ऊंगली ही क्यों ...........
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बहुत खोजने पर चूहों के प्रतिनिधि से बात हुई उत्तर मिला ऊंगली इसलिए क्योकि ब्लोगर के प्राण ऊंगली में ही बसते है और ब्लोगर सब काम ऊंगली से ही करते है और नितीश कुमार नए नए ब्लोगर है ऊंगली की आदत है उन्हें इसलिए ऊंगली काट कर विरोध किया गया .
सावधान ब्लोगर ..................................
:), मुझे तो चिंता यह हो रही है कि हमारी सुरक्षा एजेंसिया धीरे-धीरे हमारे नेताओ की सुरक्षा के प्रति कितनी लापरवाह हो रही है ! :)
जवाब देंहटाएंhaa jaa
जवाब देंहटाएंबहुत ही गंभीर मुद्दा.... :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद। आपने हमे सचेत किया।:))
जवाब देंहटाएंआपकी चिंता जायज है :)
जवाब देंहटाएंआपकी चिंता जायज है :)
जवाब देंहटाएंवैसे अन्दर की खबर यह है कि वही चूहा अपनी उंगली काफी पहले कुतर चुका है.
जवाब देंहटाएंब्लोगर के प्राण ऊंगली में ही बसते है
जवाब देंहटाएंहम अपनी उंगली बचाते हैं। आपने चेताया, धन्यवाद!
उंगली की माया .... अब तक करते थे बस .. अब झेलनी पड़ रही है .....
जवाब देंहटाएंआपकी सूचना गलत है . चूहा 'उंगली करना' सीखने गया था. नीतीश जी उसे लालू के पास भेज रहे थे . चूहा जाना नहीं चाह रहा था. वाद-विवाद में उंगली गलत दिशा में चली गयी और दांत लग गया.(यह बात पासवान जी ने बताई है)
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