अपनी कलम को हथियार बना शब्दो में बारुद भरें - सोया समाज जो राख समान उसमे कुछ आग लगे
वाकई, खाक करने की कागार पर तो आ ही गई है.
कहाँ है महंगाई ? सारे पकडे गए आतंकवादियों को बिठाकर सर्कार खाना खिला रही है.. अखबार दे रही है.. ए सी की हवा खिला रही है.. महंगाईबढती तो क्या ये संभव होता ?
मंहगाई की ही सोच रहे हैं रात दिन! जरूरतें कम करने की जुगत लगा रहे हैं।
यह महंगाई की मीनार अच्छी लगी ।
आप बताये क्या मैने ठीक लिखा
वाकई, खाक करने की कागार पर तो आ ही गई है.
जवाब देंहटाएंकहाँ है महंगाई ? सारे पकडे गए आतंकवादियों को बिठाकर सर्कार खाना खिला रही है.. अखबार दे रही है.. ए सी की हवा खिला रही है.. महंगाईबढती तो क्या ये संभव होता ?
जवाब देंहटाएंमंहगाई की ही सोच रहे हैं रात दिन! जरूरतें कम करने की जुगत लगा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंयह महंगाई की मीनार अच्छी लगी ।
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