उप चुनाव ने तो कहर ढा दिया . सपा सफा हो गई ,भाजपा विदा हो गई और कम्युनिष्ट हरी झंडी लाइन सफा . सबसे खतरनाक यह हुआ महंगाई को साँसे मिल गई क्योकि कांग्रेस आई महंगाई लाई . और माया ममता छाई
लेकिन जनता तो चक्रव्यूह से निकल ही नहीं पाती उसकी तो नियति ही है चक्कर में पड़े रहना . जनता ने इस चुनाव में विधानसभाओ में तो उत्तर प्रदेश को छोड़ सब जगह सत्ता को करारा तमाचा रसीद किया . ३१ साल का लाल शासन के शासको का चेहरा लाल कर दिया . बंगाल और केरल तो हिल ही गया लग रहा है . हिमाचल में नेताओ की बीबियों को टिकिट नहीं दिया तो अपनी सीटे दूसरी पार्टियों को जितवा दी . धन्य हो
उत्तर प्रदेश में तो कमाल ही हो गया चुप मायावती ने बड़बोले लोगो की जुवान पर ताला लगा दिया . इसे कहते है हाथी की चाल .
और एक लोक सभा की सीट का हाल फिरोजाबाद सुहाग नगरी ने सुहाग की त्यागी सीट पर सुहागन को भी नही बैठने दिया . धरतीपुत्र की अपनी धरती ने ही अनदेखी की अनोखी सजा दी जो जीवन भर मुलायम सी चुभन दिल में होती रहेगी . आखिर कितने पारिवारिक लोग जनता की सेवा करेंगे तो उनकी सेवा कौन करेगा इसलिए जनता ने उनका आग्रह ठुकरा दिया और जनादेश दे दिया बहू घर पर रह परिवार की देख रेख करे हमारी सेवा के लिए आप इतने लोग तो हो ही .
फिरोजाबाद की जीत ना तो राहुल गाँधी की है ना राज बब्बर की . यह हार है मुलायम सिंह की ,उनकी पार्टी की ,उनके परिवार की , उनके घमंड की , और उनके सलाहकारों की .
जनता को बेवकूफ़ समझने वाला नेता ही बेवकूफ़ प्रमाणित होता है:)
जवाब देंहटाएंजैसा बोया, वैसा काटा!! हालांकि फसल फिर भी अच्छी नहीं आई.
जवाब देंहटाएंमाया मेमसाहब को प्रधानमन्त्री के ख्वाब पुन: आने लगेंगे!
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