गुरुवार, मार्च 26, 2009

लालू ,मुलायम ,पासवान और परदे के पीछे कल्याण - कुछ समझ आया

लालू ,मुलायम ,पासवान और परदे के पीछे कल्याण - कुछ समझ आया आपको नही तो दिमाग पर जोर डाले यह ही राजनीति है और उसका भावार्थ आपको कुछ समय बाद चल ही जायेगा । यह गठजोड़ एक नई ज़मीन तैयार कर रहा है ।

अपने प्रदेश के यह धुरन्दर समय के आगे मजबूर है इनका तिलिस्म विधानसभा चुनाव से टूट रहा है लालू पैदल ,पासवान भी और मुलायम अपने लोगो की वजह से सत्ता से पैदल , कारण एक इनका मुस्लिम वोट दरक रहा है । और मुस्लिम वोटो के सौदागरों की नाजायज मांगो ने इन्हे मजबूर किया कुछ नया करने को। पूरे ग्रहकार्य के साथ यह कदम उठाया गया है जिससे तथाकथित मुस्लिम सौदागरों का प्रेशर कम किया जाए ।

और यही एक कारण यह विपरीत ध्रुव एक हो रहे है । इस धुर्विकरण का एक ही मकसद है पिछडे वोटो को वटने से रोकना और गैर मायावती दलित वोटो का पासवान के द्वारा इकठ्ठा रखना । अगर यह प्रयोग सफल रहा तो एक नया प्लेटफोर्म बनेगा भारत की राजनीति मे ।

इसीलिए मुलायम कल्याण को माफ़ करवाने के लिए मस्जिद मस्जिद मदरसे मदरसे घूम रहे है और उनके पवन दूत अमर जाने अनजाने मौलानाओ की रोज़ परेड करा रहे है । आम मुस्लिम मतदाता अब कल्याण से कम नाराज़ नज़र आ रहा है । ६ दिसम्बर ९२ से कल्याण के ख़िलाफ़ आग उगलने वाले लालू ,पासवान आज बिल्कुल खामोश है ।

लालू , मुलायम ,पासवान आज कल्याण के साथ इसलिए खड़े हो रहे कि वह एक संदेश देना चाह रहे है मुस्लिम सौदागरों को तुम्हारे बिना भी हम चल सकते है और एक बात आम मुसलमान आज भी लालू ,मुलायम मे अपनी खुशहाली देखता है । और आम मुस्लिम अभी मायावती और कांग्रेस से अपने को जुडा महसूस नही कर रहा है ।

यही एक कारण है मेरी नज़र मे आगे आप सोचे मैं कहाँ तक सही हूँ ।

16 टिप्‍पणियां:

  1. वाह राजनीति अब आपसे बेहतर कौन जाने...
    सही फरमाया आपने...

    अर्श

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  2. लालू और पासवान में कितना प्रेम है वह तो उसी समय जगज़ाहिर हो गया जब वे रेल मंत्रालय की हड्डी के लिए कुत्तों की तरह लड़ रहे थे। मुलायम और लालू में कितना प्रेम है जव वे बिहार और उत्तर प्रदेश के यादवों को अलग करके अपनी राजनीति कर रहे थे, यह भी सभी को पता है। अब रही बात सब के एकजुट होने की तो वह अंग्रेज़ी में कहते हैं ना- POLITICS MAKES STRANGE BED-FELLOWS:)

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  3. धीरू जी कॉलेज छोड़ने के बाद राजनीती भी छोड़ दी थी अब इन घटिया नेताओ के बारे में ज्यादा नहीं सोचता मुझे तो कुछ को छोड़ कर सारे ऐसे ही लगते है | राजनीती में जो सही व्यक्ति है वो इनके आगे कुछ कर नहीं पाते |आपकी पोस्ट से इनके बारे में कुछ तो पल्ले पड़ रहा है |

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  4. सत्‍ता का मोह जो न कराए। वैसे जो अभी साथ खडे हैं, हो सकता है चुनाव के बाद आपस में लड़ते नजर आएं।

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  5. आप का विश्लेषण कुछ हद्द तक ठीक हो सकता है.....पर समय बताएगा

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  6. हम इंतजार करेंगे...पर किस बात का ?

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  7. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो एक नया प्लेटफोर्म बनेगा भारत की राजनीति मे ।

    बाजा तो पहले से ही बजा है अगर ये प्रयोग सफल हो गया तो जो ढोल बज रहा था उस फटना तय है।

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  8. राजनीती है आगे आगे देखे होता है क्या.....

    Regards

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  9. मेरे विचार में तो यह कथित "तिलंगा मोर्चा" लोकसभा चुनाव में 50-60 सीट ले आयेगा, फ़िर "धर्मनिरपेक्षता" नाम की कमीनी चीज़ के आधार पर इनमें और कांग्रेस के बीच मंत्रालयों को लेकर सौदेबाजी होगी और फ़िर से हमें एक और "मजबूत" केन्द्र सरकार प्राप्त होगी… सारा खेल यही है कि चुनाव से पहले आपस में गरिया कर एक माहौल बनाओ, चुनाव के बाद फ़िर से "एक" होने के लिये…। अब ये हिन्दुओं के ऊपर है कि वे "हिन्दू" बनना चाहते हैं या फ़िर यादव-कुर्मी-दलित-लोध-ब्राह्मण-जाट आदि-आदि बने रहना चाहते हैं, यदि ऐसे ही रहे तो उनके सिर पर एक और महान "शर्मनिरपेक्ष" सरकार का खतरा मंडराता रहेगा…

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  10. कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा.

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  11. मुस्लिम वॊटो के लिये तो यह कुत्तॊ की तरह से उन का गुह भी खाने को तेयार है जो सिर्फ़ १२,१३% है, ओर हिन्दु ८०% फ़िर भी हमे यह घास नही डालते.... ? अरे सब मिलो आपस मै ओर दिखाओ अपनी वोट की ताकत, फ़िर देखॊ केसे यह तुम्हारा थुका भी चाटेगे...
    धन्यवाद आप का हिसाब किताब बहुत अच्छा लगा.

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  12. बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें...

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  13. धीरू भाई, लालू, कल्याण, मुलायम & पासवान के बारे में आपका अंदाज़ बिलकुल सही है मगर जनता के बारे में इन चारों का अनुमान बिलकुल सतही और गलत है. काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है - लेबल बदलने के बाद भी.

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  14. क्‍या क्‍या समझोगे मियॉं, यहॉं तो हर ओर यही घालमेल है।

    -----------
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा