अपनी कलम को हथियार बना शब्दो में बारुद भरें - सोया समाज जो राख समान उसमे कुछ आग लगे
यही हमारी नियति लगती है.
यही सीन है!!
priy bandhu ,netaaon ko aap kitni bhali prakar jaante hain ,achchha lagaa , krpyaa meraa blog bhi dekhen
ये जल्लाद साम्प्रदायिकता,जातिवाद, गुंडागर्दी,भ्रष्टाचार को भी खाद पानी देने आ गए |
क्या बात है...वाह...सच्ची मगर कड़वी बात...नीरज
अब आ ही गये हैं तो दो-ढ़ाई महीने कहर ढ़ायेंगे ही!
सही कहा नेता डाकू बन कर आ गये हैं
ये तो होना ही था:)
और हम अब टिप्पणी करने आ गये ।
धीरू भाई आप का लिंक मेरे ब्लांग पर आ नही रहा था, लेकिन आज आ गया, अब आप कि शिकायत दुर हो गई होगी.धन्यवाद
आप बताये क्या मैने ठीक लिखा
यही हमारी नियति लगती है.
जवाब देंहटाएंयही सीन है!!
जवाब देंहटाएंpriy bandhu ,netaaon ko aap kitni bhali prakar jaante hain ,achchha lagaa , krpyaa meraa blog bhi dekhen
जवाब देंहटाएंये जल्लाद साम्प्रदायिकता,जातिवाद, गुंडागर्दी,भ्रष्टाचार को भी खाद पानी देने आ गए |
जवाब देंहटाएंक्या बात है...वाह...सच्ची मगर कड़वी बात...
जवाब देंहटाएंनीरज
अब आ ही गये हैं तो दो-ढ़ाई महीने कहर ढ़ायेंगे ही!
जवाब देंहटाएंसही कहा नेता डाकू बन कर आ गये हैं
जवाब देंहटाएंये तो होना ही था:)
जवाब देंहटाएंऔर हम अब टिप्पणी करने आ गये ।
जवाब देंहटाएंधीरू भाई आप का लिंक मेरे ब्लांग पर आ नही रहा था, लेकिन आज आ गया, अब आप कि शिकायत दुर हो गई होगी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद