सुबह अखवार देखा तो तीसरे चौथे पन्ने पर शहीद भगत सिंह , राजगुरु , सुखदेव के बारे मे पता चला आज उनका शहीदी दिवस है । पहले पन्ने पर तो जेड गूडी की मौत की खबर थी । और सच मे हम उसकी मौत का अफ़सोस कर रहे थे और हमारे शहीदों के बारे मे सोचने की तो फुर्सत ही नही थी । यह है हमारे अहसान फरोशी की इन्ताह ।
आज़ादी बिना खडग और ढाल के नही मिली थी उस आज़ादी मे लाखो लोगो का बलिदान भी शामिल था और सबसे ज्यादा युवाओं का । क्या उम्र थी भगत सिंह की सिर्फ़ २२,२३ साल . यह उम्र होती है कहीं बड़ी बड़ी बातें करने की । लेकिन इतिहास गवाह है क्रांतियाँ इसी उम्र के लोग करते है । रानी लक्ष्मीबाई , खुदी राम बोस ,उधम सिंह और न जाने उन जैसे कितने ज्ञात अज्ञात युवाओं का बलिदान ही इस देश को आजाद करा पाया था ।
आज भी युवाओं की जरूरत है लेकिन वेटिंग मे अभी भी ८० , ८५ साल के युवा ही लाइन मे है । जागने का वक्त है उठने का वक्त है याद करने की जरूरत है . संघर्ष की राह चुननी ही पड़ेगी भगत सिंह की बात सुननी ही पड़ेगी । लेकिन यह भी सच है बिना धमाको के यह बात लोग सुनते नही है । और यह जो लोग चाहते है कि लोग बात न सुने भगत सिंह को बिना बात के फाँसी पर चडा देते है । आज भी वही प्रस्थिति बनी हुई है शासको की चमडी का रंग बदला है और कुछ नही ।
ख़ैर समय ऐसा ही चलता रहेगा । शायद आज के ही दिन हम शहीदों को याद कर ले वही काफी है ।
इन्कलाब जिंदाबाद
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वरस मेले ?
वतन पर मरने वालो का यही आख़िर निशां होगा ?????????????????????????????????
haan bhagat singh ka marg chune bina koyee rah naheen bachee deekhtee. INQLAB ZINDABAD !
जवाब देंहटाएंशहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वरस मेले ?
जवाब देंहटाएंवतन पर मरने वालो का यही आख़िर निशां होगा
" desh ke in veer sputo ko naman or srdhanjli.."
Regards
शत-शत नमन मार्का श्रद्धांजलि के बजाय उनके विचारों से रिश्ता जोड़ने की जरूरत है। सांप्रदायिकता,पूंजीवाद, साम्राज्यवाद से कैसे लड़े,सोचना जरूरी है। वर्ना तो रंग दे बसंती जैसी भ्रष्ट फिल्म भी भगत सिंह के नाम पर ही बना दी जाती है।
जवाब देंहटाएंवक़्त आने पर बता देंगे तुझे इ आसमाँ
जवाब देंहटाएंहम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है
आपकी वेदना मैं समझ सकता हूँ, भोतिक्तावाद ने सब कुछ भुला दिया है
सलाम है उन वीरों को जो शहीद हुवे वतन की खातिर, हमारे खातिर
भगत सिंह कभी नीचे झाँक कर अपने हिन्दुतान को देखते होगे तो कितने खून के आंसू रोते होगे .शायद उनके शहीद होने का मर्म नहीं समझा हमने .
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