सोमवार, दिसंबर 06, 2010

६ दिसंबर ९२ कुछ ख़ास था मेरे लिए

गुरु की खोज जारी है या कहें लगभग तय है . दो चार दिन में गुरु जी घोषित हो ही जायेंगे .

आज ६ दिसंबर है . ६ दिसंबर ९२ कुछ ख़ास था मेरे लिए . ख़ास क्यों ........ ख़ास इसलिए उस दिन मेरे मित्र मंडली में से पहले मित्र की शादी तय हो रही थी और ६ दिसंबर को गोद भराई जिसे रिंग सरेमनी भी कह सकते है थी . दोस्तों में से कोई पहली बार एक दुल्हा बनने की और अग्रसर था . यादे गुदगुदा रही थी कल तक हम साथ साथ खेले ,घुमे और आज अचानक एक साथ बड़े हो गए . शादी की वेटिंग तक पहुच  गए थे हम लोग .

हमारी मंडली के बारे में कहा जाता था जिस नक्षत्र में इनकी शादी होगी वह भी भुलाया नही जाएगा . खैर हम लोग तैयारी में थे .सूट बूट पहन कर जेंटल मैन बन गए थे . लड़की वालो के यहाँ जाना था . तभी अयोध्या के बारे में खबरे आने लगी . सामान्य सी स्थति समझी और हम लोग सब पहुच ही गए . इधर  हमारा दोस्त दुल्हा बनने की राह में था उधर अयोध्या में इतिहास अपने को दोहरा रहा था . माहौल  में अजीब सी बैचेनी थी .पंडित जी में तेज़ी थी . और मेहमानों में भी सब जल्दी में लग रहे थे .

तभी अखवारो के एडिशन बिकने लगे . पहला एडिशन जब आया उसमे था कार सेवक् ढाचे पर चड़े . उस समय मेरा दोस्त अपनी होने वाली साथी के साथ खडा ही हुआ था . थोड़ी देर बाद जब वह अंगूठी पहना रहा था उसी समय खबर आयी एक गुम्बद गिरा दिया गया है . जब उसकी बीबी [होने वाली ] ने अंगूठी पहनाई उसी समय खबर मिल गई है दूसरा गुम्बद भी गिर गया है . अब मेहमानों के सब्र का बाँध टूट गया था वह खाने का इंतज़ार करने के बजाय अपने घर पहुचने की जुगाड़ में थे . जब तक सब कार्यक्रम सम्पन्न हुआ तब तक अयोध्या में भी सब काम ख़तम हो गया था . अधिकाँश मेहमान अपने घरो को लौट चुके थे .

और सडको पर सायरन बजने शुरू हो गए थे और सबको घर जाने की ताकीत मिल रही थी . सब खाना ढोंगे में रखा इंतज़ार कर रहा था कि आओ हमें खाओ . लेकिन खाने वाले अपनी भूख खो चुके थे . हम कुछ दोस्तों ने खाने का मान रखा . और दोस्त को उसके घर पहुचा कर अपने घर पहुचे .

इस लिए बहुत यादगार है ६ दिसंबर मेरे लिए .

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सौभाग्यशाली है आप यह दिन ६दिसम्बर कभी भूलेगे नही अच्छी तरह याद किया ६ दिसंबर बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  2. चलो किसी अच्छे बहाने से ६ दिसंबर को याद किया...... नहीं तो आज के दिन मात्र शर्मनिरपेक्ष लोग रुदालियाँ करते हैं.

    बधाई हो.

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  3. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  4. जैसे भी हो बस, याद रहे. आप और आपके मित्र तो हमेशा ही याद करेंगे सगाई को उस घटना से जोड़ कर.

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  5. वह अंगूठी पहना रहा था खबर आयी एक गुम्बद गिरा दिया गया है
    उसकी बीबी ने अंगूठी पहनाई खबर मिल गई दूसरा गुम्बद भी गिर गया

    यादगार तो होना ही था उन लम्हों को

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  6. ये शेर याद अ गया .... सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया ...
    हर किसी का अपना अपना किस्सा है ...

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा