हम नोबेल पुरूस्कार को इतना महत्त्व क्यों देते है . दुनिया को तबाह करने वाले डायनामाइट की खोज करने वाले अल्फ़्रेड नोबेल ने अपने धन से इन पुरुस्कारों की शुरुआत की . हमेशा से विवादों में रहने वाले यह पुरूस्कार समिति ने महात्मा गांधी को इस लायक नही समझा कि उन्हें नोबेल पुरूस्कार दिया जाए . महात्मा गांधी को अगर पुरूस्कार मिल जाता तो यह नोबेल का ही सम्मान होता .
खैर यह बात तो पुरानी है अभी साल भर पहले बराक ओबामा को शान्ति का नोबेल दे दिया वजह सिर्फ एक वह अमेरिकन राष्ट्रपति है . मैं तो नोबेल पुरूस्कार से इतेफाक नही रखता . इस साल चीन के लिउ जियाओबो को यह पुरूस्कार दिया गया है . कहा जा रहा है यह चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ता है और इस समय जेल में ११ साल की सज़ा काट रहे है . चीन इसका विरोध कर रहा है उसके समर्थन में कई देशो ने इस समारोह का वहिष्कार किया है .
चीन जो एक आर्थिक शक्ति है में मानवाधिकार हनन यह चीन का अंदरुनी मामला है . हम बाहर खड़े लोग यह नही कह सकते कौन सही है या कौन गलत . अधिकतर लोग चीन की बुराई कर रहे है . इस मुद्दे पर मैं चीन के साथ हूँ . यह सही है चीन हमारा दुश्मन देश है यह हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा है . लेकिन इस वजह से हम चीन का विरोध करे तो यह सही नही .
मुझे डर है कि कल को किसी कश्मीर अलगाववादी या कहें आतंकवादी को नोबेल मिलेगा वह भी शान्ति का . उसे भी मानवाधिकार कार्यकर्ता कहा जाएगा तो हम क्या करेंगे उस समय . हम तो इतने सक्षम भी नही कि हमारे कहें से दो देश भी वहिष्कार करे .
इसलिए इस विषय पर भी सोचना चाहिए . और मेरा मन कहता है साल दो साल में किसी कश्मीर अलगाववादी को इस पुरूस्कार से नवाज़ा जरूर जाएगा .
Jaise Bharat aur Pakistan ke Cricket Match me hotaa hai, waisaa hee jashn manaayenge !!
जवाब देंहटाएंअवश्य मिलेगा... आपका पूर्वानुमान सच होगा..
जवाब देंहटाएंविश्व भ्रस्टाचार दिवस पर भी भ्रष्टाचार ही भ्रस्टाचार
जवाब देंहटाएंदोस्तों विश्व भ्रस्टाचार दिवस के उपलक्ष में आप सबको बधाई , भ्रस्टाचार मामले में हमारा देश ७५ प्रतिशत त्रस्त हे और यहाँ का करीब २० लाख करोड़ रुपया विदेशों में जमा हे जो अब बढ़ कर २५ लाख करोड़ रूपये हो गयी हे , दोस्तों कम से कम हमारा देश भ्रस्टाचार मामले में तो तरक्की कर ही रहा हे और तरक्की भी कितनी के इस देश में भ्रस्ताचार की जांच करने वाली केन्द्रीय सतर्कता समिति के आयुक्त थोमस खुद भ्रष्टाचार मामले में उलझे हुए हें उलझे भी ऐसे के प्राथमिक आधार पर थोमस को प्रथम द्रष्टया दोषी मानकर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मान लिया हे लेकिन जनाब को शर्म ही नहीं हे और वोह पद से इस्तीफा देना नहीं चाहते हें ।
देश का २५ लाख करोड़ रूपये जो बाहर भेजा गया हे मेने मेरे साथ बेठे कुछ पढ़े लिखे लोगों से लिख कर बताने को कहा कई लोग पोस्ट ग्रेजुएट थे लेकिन इस रकम को कोई लिख नहीं सका अब दोस्तों देश के नोजवान जिस राशी को लिख भी नहीं पा रहे हें इससे भी कई अधिक राशि आज विदेश में हे जो हमारा हक हे । हमारे देश में आज भ्रस्ताचार शिष्टाचार बन गया हे और भ्रस्ताचार रोकने के लियें जितने भी कानून बने हें वोह ढीले हें क्योंकि इन कानूनों को भर्स्ट लोगों ने ही तय्यार किया हे आज देश में भ्रस्ताचार को रोकने का कानून जो कुल दो प्रष्ट का हे अपने आप में मजाक हे करोड़ों की रिश्वत लेते पकड़ो और मामला थाने और जमानत का हे विचारण जज स्तर के अधिकारी करेंगे । इस तरह से भ्रस्ताचार निरोधक दिवस पर देश का ही भ्रस्टाचार छाया रहा हे देश में घर से लेकर दफ्तर और दफ्तर से लेकर बाहर तक भ्रस्ताचार हे इस मामले में ७५ फीसदी लोग प्रभावित हें ईमानदार वही हे जिनको मोका नहीं मिला हे देश में लोकायुक्त कानून हे लेकिन निष्प्रभावी हे केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद पर केसे लोग बैठते हें आज जग ज़ाहिर हे भ्रस्ताचार निरोधक विभागों में जो अप्रभावी नाकाबिल अधिकारी होते हें उन्हें सजा के बटर भेजा जाता हे न्यायालयों में सरकारी वकील ढंग से पेरवी नहीं करते यहाँ तक के बार बार मांग उठने पर भी देश में भ्रस्ताचार नियन्त्रण के लियें कानून में कोई नया संशोधन नहीं किया गया हे ना ही नया कानून प्रभाव में लाया गया हे जबकि देश में भ्रस्ताचार मामले में फंसी की सजा की मांग उठती रही हे लेकिन नेता हो छे अफसर शाही हो इस मामले में कोई बहस करने को तय्यार नहीं हे संसद में कोई कानून बनाने को तयार नहीं हे और अख़बार विज्ञापनों के बोझ ते इतने दबे हें के वोह तो इन खबरों को छापना ही नहीं चाहते जबकि इलेक्ट्रोनिक मीडिया की खबरें तो स्पेक्ट्रम घोटाले में चोंका देने वाली हे ऐसे में छोटा मुंह बढ़ी बात तो हे लेकिन बिलकुल सच हे के बस अब दश के भ्रस्ताचार के खिलाफ अलख जगाने का सारा भार ब्लोगर साथियों पर ही आन पढ़ा हे तो जनाब मेरे ब्लोगर भाइयों जुट जाओ और अगले साल ९ दिसम्बर अंतर्राष्ट्रीय भ्रस्ताचार दिवस के दिन अधिकतम भ्रष्ट भेदिये देश की जेलों में हो और सरकार कोई कठोर और प्रभावी कानून बना कर भर्स्ट लोगों को सजा देने का प्रावधान बनाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
1. कश्मीरी आतंकियों को तो सरकार ही इनाम दे रही है पुनर्वास पॅकेज के नाम पर|
जवाब देंहटाएं2. चीन की दानवी सरकार का विरोध और निर्दोषों की बलि का जेहादी आतंकवाद दोनों बिलकुल अलग बातें हैं और इनकी कोई तुलना नहीं हो सकती है|
हम तो इन्हें पाल रहे हैं जी:)
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ तो देशद्रोही राज कर रहे हैं - बाप केंद्र में मत्री पुत्र मुख्य मंत्री ...
जवाब देंहटाएंये सेकुलर मानसिक किन्नर तो आतंकियों को नोबेल पर बधाई दे कर ...ताली पीटेंगे
ज़रदारी साहब को मोतीचूर के लड्डू भेजेंगे .... आखिर उनके दत्तक पुत्र का सम्मान हुआ होगा !
जवाब देंहटाएंआपका पूर्वानुमान एकदम सही है और स्मार्ट इंडियन साहब की टिप्पणी भी एकदम सही है।
जवाब देंहटाएंउन्हे तैयार तो हम ही लोग कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआप से सहमत हे, लेकिन समझ नही आता हम बार बार इस निकम्मी सरकार को वॊट क्यो देते हे...
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
वही करना पड़ेगा जो शूदरों ने तब किया था जब रामजी के जुल्मी राज को आदर्श राज घोषित किया था ।
जवाब देंहटाएंउतारो आरती , पूजो भारती।
कभी कभी हम ब्लोगरो के विचार कितने मिलते जुलते होते है | इसी विषय पर मैंने भी बिलकुल यही बात अपनी पोस्ट में तब की थी जब नोबेल पुरुस्कारों की घोषणा हुई थी |
जवाब देंहटाएंhttp://mangopeople-anshu.blogspot.com/2010/10/mangopeople_15.html
बढिया लिखा है !!
जवाब देंहटाएंइसका नाम नोबल प्राइज़ नहीं विवादित प्राइज़ होना चाहिए है
जवाब देंहटाएंdabirnews.blogspot.com
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"मुझे डर है कि कल को किसी कश्मीर अलगाववादी या कहें आतंकवादी को नोबेल मिलेगा वह भी शान्ति का . उसे भी मानवाधिकार कार्यकर्ता कहा जाएगा तो हम क्या करेंगे उस समय . हम तो इतने सक्षम भी नही कि हमारे कहें से दो देश भी वहिष्कार करे .
इसलिए इस विषय पर भी सोचना चाहिए . और मेरा मन कहता है साल दो साल में किसी कश्मीर अलगाववादी को इस पुरूस्कार से नवाज़ा जरूर जाएगा ."
हम इतना तो कर ही सकते हैं कि जिसे भी इस इनाम से नवाजा जाये... उसे ससम्मान बोरी-बिस्तरा-तंबू-दुकान-चेले-चपाटे-पतीले-चम्मच के साथ स्वीडन छुड़वा दें, हमेशा-हमेशा के लिये... कुछ तो हमारी धरती का बोझ कम होगा...
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