आवश्यकता है
एक गुरु की जो ब्लॉग पर सफल होने के गुर सिखा सके.
योग्यता - कम से कम एक ब्लॉग का तन्हा मालिक हो .
अनुभव - कम से कम २ ब्लागर के गुरु रह चुके हो .
वेतन - योग्यतानुसार
संपर्क - दरबार .ब्लागस्पाट .कॉम
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सोचता हूँ एक ऐसा विज्ञापन छाप दूँ . क्योकि पढ़ा है बिना गुरु के वह हासिल नही होता जो चाहिए . अभी तक कोई गुरु नही बना पाया मैं . मेरी बदकिस्मती है . ब्लॉग भी तो एक सागर है इसमें तैरते रहने के लिए एक प्रशिक्षित व्यक्ति की मदद की जरुरत है . आखिर कब तक हाथ पैर मारे . मेरी भी इच्छा है मैं किसी को प्यार से गुरुदेव पुकारू . और एक बात और आजतक जो मेरे गुरु रहे है वह बहुत ऊंचे पदों पर पहुचे है . उनमे से दो को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है . और एक गुरु आज बहुत बड़े प्रदेश के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष है .
अगर आपको ऐसे गुरु की जानकारी हो तो कृपया मुझे अवश्य दे .
guru jb aapki koj puri ho jaaye to aap mere guru bn jana pliz. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंहमें तो आप भी गुरु ही नजर आ रहे है :)
जवाब देंहटाएंगुरूघंटाल चलेंगें क्या ?
जवाब देंहटाएंकहें तो उनका पता ठिकाना बताया जाए :)
पंडित जी गुरुघंटाल से भी काम चल ही जायेगा .
जवाब देंहटाएंएक योग्यता तो छोड़ ही दी. कम से कम एक गुट का निर्विरोध आजीवन अध्यक्ष हो..
जवाब देंहटाएंअमां क्या गजब ढा रिये हो भाई मियां , इब किसमें इत्थी हिम्मत जो धीरू भाई को अपना चेला रखे
जवाब देंहटाएंमेरे ख्याल से आपको भाषा में पैना पन नहीं लाना है - वह पर्याप्त है। आपको संवाद कायम करने में कुछ मेहनत करनी है। आपको अपने ब्लॉग की यू.एस.पी. तय करनी है और उसके ध्येय।
जवाब देंहटाएंजब गंतव्य स्पष्ट होगा तो आपको मेहनत के साथ सफलता से कोई रोक न पायेगा - आपकी इतनी प्रवृत्ति तो मैं समझ गया हूं।
यह तो मान कर चलें कि आपकी ब्लॉगरी में और कसाव की जरूरत है। बिखराव जो भी है, समेटने की जरूरत है।
लेकिन आप में जबरदस्त पोटेंशियल है।
बाकी गुरू खोजना, न खोजना आपकी मर्जी!
गुरु के रस्ते तो चल ही रहे हैं........ बस गुरुघंटाल की आवश्यकता है जो उस चालीस में आपको शामिल करवा दे ...
जवाब देंहटाएंमैं हूं न चलेगा....
जवाब देंहटाएंगुरु के रस्ते तो चल ही रहे हैं आप में जबरदस्त पोटेंशियल है।
जवाब देंहटाएंगुरु चाहिए या गुड़
जवाब देंहटाएंपहले विचार लीजिए
या चाहिए शक्कर
सुना ही होगा
गुरू गुड़ रह गये
चेले शक्कर हो गए
तो जल्दी बतलाइये
वैसे खरीद ले एक गन्ना
उसका बनायें गुड़
और शक्कर खरीद लाएं बाजार से
एक खोलें दुकान
जिसमें रखें फीके पकवान
मीठी खीर
टेढ़ी ज्यादा बिकेगी
अरे भई, वही खीर
फिर बन जायेंगे
आप पीर
वही जो पीरा हरते हैं
आओ बंधु, गोरी के गांव चलें
॒ अविनाश जी -गुरु ही चाहिये . गुड तो अभी दूध के साथ पाया है
जवाब देंहटाएंkalyug main kaun guru kisi ko chela banata hai .ham bhee abhi tak agyani hai.
जवाब देंहटाएंफुरसतिया जी से बात करके देखो..हमारे तो वो ही है..
जवाब देंहटाएंगुरु की खोज भी आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंबहुत सारे ब्लॉग गुरु हैं, यहां भी। हमें तो रतन जी की बात सही लगती है।
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जब मिल जायें गुरूजी तो हमें भी बताइयेगा...
...
धीरू भाई माफ़ कीजियेगा इस मामले में अपन आपके किसी काम नहीं आने वाले !!
जवाब देंहटाएंवैसे जब आपको इतना ज्ञान है कि आपको गुरु की जरूरत है .... तो मेरे हिसाब से आपको गुरु की कोई जरूरत नहीं है !
पांडे गुरु जी सही बोले
जवाब देंहटाएंब्लागिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला आधिकारिक रपट
जो वेतन देकर मिलेगा वह गुरु कहाँ होगा?
जवाब देंहटाएं@अनुराग जी हमारे एक गुरु ने सिखाया है बिना धनोबल के मनोबल नही बढता है .
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग की विशेषता यह है कि अभिव्यक्ति अन्तरमन से निकलती है और संभवतः वही एक प्रबल गुण है जो आपको सुदृढ़ स्थापित रहेगा। व्यक्ति जब किसी राह पर चलना प्रारम्भ कर देता है तो राह ही उसको कितना कुछ सिखा देती है।
जवाब देंहटाएंकामयाब ब्लोगर के गुण. ना पढो, ना देखो, ना सुनो, बस लिखो ,लिखो और लिखो..और इधेर उधेर कुछ भी टिप्पणी देते जाओ.
जवाब देंहटाएंजमाना गुरूघंटालों का है जी...
जवाब देंहटाएंसच्चे गुरु की तलाश आज के युग में एक सच्चे इंसान को जीवन के अंतिम क्षणों तक रहती है.....क्योकि उसकी इक्षा कुछ नया सीखने और करने की जीवन के अंतिम क्षणों तक बनी रहती है..........
जवाब देंहटाएंसमझिये मिल गया आपको गुरु ।
जवाब देंहटाएंकृपा रही तो गुरु मिल ही जायेंगे. एक अदद गुरु की खोज मुझे भी है.
जवाब देंहटाएंआवश्यकता गुरू नहीं गुरूगंटाल की है :)
जवाब देंहटाएंआजकल तो सभी बिकते हैं नजर रखिए कोई न कोई मिल ही जाएगा... पर ठोक बजाकर देख लीजिएगा गुरू बनने लायक हैं भी नही...मिलावट का जमाना है भाई... मिल जाए तो बताइएगा अवश्य
जवाब देंहटाएंये भी खूब लिखा, चारो तरफ़ एक से बढकर एक गुरू घंटालों के ठिये लगे हुये हैं, जहां मन आये वहां से दीक्षा ले लिजिये.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
और हम बताना भूल गये थे हमने समीरलाल समीर से दीक्षा ली थी. हम रिकमंड नही कर रहे हैं सिर्फ़ अपने गुरू का नाम बताया है.
जवाब देंहटाएंरामराम
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जवाब देंहटाएंधीरू जी ,
पूरे ब्लॉग पर गुरु ही तो भरे हुए हैं। एक ढूंढिए , हज़ार मिलेंगे।
अच्छा लगा विज्ञापन ! अपने आप में अनोखा है ।
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आपने ठीक कहाँ किया…………अरे प्रश्न ही गलत है ये कहते किसी को चेला चाहिये मुफ़्त मे फिर देखते कितने गुरु आ टपकते…………हा हा हा।
जवाब देंहटाएंएक ठो गुरू हमको भी चाहिये! आपको मिले तो हमको खबर किजियेगा, हम भी उसी से काम चला लेंगे!
जवाब देंहटाएंमिल जाए तो हमें भी बताना।
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ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
आपके पुराने गुरु क्या अब गुरु नहीं रहे। हमने तो सुना था कि गुरु हमेशा ही गुरु रहते हैं। वैसे धीरू भाई गुरु विज्ञापनों से नहीं मिलते इसके लिए मन में श्रद्धा और ज्ञान की ललक होनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंमैं भी कोई ऐसा गुरु खोज रहा हूँ... वैसे आपके जो गुरु हैं... लोक सेवा योग के अध्यक्ष उनसे मेरा एक काम करवा दीजिये... इकोनोमिक ओफेंस विंग में चार साल पहले इंटरवीऊ दिया था ... डेपुटी डाइरेक्टर का ... आज तक रिजल्ट नहीं आया...
जवाब देंहटाएंमिलने पर जरूर बताना .. वैसे धंधा भी चल निकलेगा अगर कोई सफल गुरु बन सके तो .... हमारी अर्जी भी तैयार है ....
जवाब देंहटाएंआपको कोई गुरू मिल जाए तो हमें भी बताना!
जवाब देंहटाएंगुरु मिल जाए तो ठीक वरना तो बिना गुरु ही चेला शक्कर हो जाने को है ही.
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