वी आई पी यह एक तमगा है जो शान की बात लगती है . जहाँ जाईये सबसे आगे क्योकि वी आई पी जो ठहरे . एक बार मुंबई से दिल्ली आते समय हवाई जहाज में इसलिए कम्फर्ट नहीं मिला क्योकि उसमे जे क्लास नहीं था पुराना बोइंग था और उसमे जे क्लास नहीं थी . हवाई जहाज उड़ने में देर थी कई अभिनेता और बड़े आदमी लोंबी में टहल रहे थे और हम आराम से वी वी आई पी लाउंज में बैठे आराम कर रहे थे क्योकि हम आखिर वी आई पी थे उस समय .
दिल्ली में लुटियन के बंगलो में आराम से रहे हम . ए.सी . की कूलिंग कम लगती तो नया बदलवा देते थे आखिर सरकार के दामाद हुआ करते थे . जिस समय क्वालिटी आइस क्रीम की ब्रिक ५० रु की थी तब हमे मात्र १४ रु की मिलती थी . २.५० रु की थाली ,१० रु का बटर चिकन वाह वाह , क्या दिन थे भाई आखिर वी आई पी थे उस समय . जब लोग नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर धक्के खाते थे तो हम स्टेट एंट्री से सीधे प्लेटफार्म नम्बर १ तक अपनी गाड़ी से जाते थे .
उसी समय एक झटका लगा और हमें लगा काश हम वी आई पी ना होते . मेरी माँ को थायरोड था और गले में सूजन थी दिल्ली में मिलेट्री अस्पताल में इलाज़ चल रहा था पिता जी एक साथी जो बाद में मुख्मंत्री भी बने मेजर जनरल से रिटायर थे उनके सहायता से वहां इलाज़ चल रहा था . आप्रेस्शन की तारीख तय थी . तभी हमारे यहाँ हमारे यहाँ हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री आये और उन्होंने कहा की उनके लिए शर्म की बात है की उनकी भाभी का ओप्रेस्शन दिल्ली में हो . आपने साथ वह हमको लखनऊ ले गए और एस.जी .पी .जी.आई में इलाज़ शरू हुआ .
स्वास्थ्य मंत्री तीमारदार ,मुख्यमंत्री समय समय पर हाल चाल ले रहा हो तो कल्पना कर सकते है अस्पताल में क्या स्थति होगी . बड़े सा बड़ा डाक्टर वह काम कर रहे थे जो कम्पौवडर करते है . वही हुआ ओप्रेस्शन के समय अनेस्थिसिया के लिए हेड ऑफ डिपार्टमेंट आये जिन्होंने शायद २० साल से पढाने के आलावा कुछ नहीं किया था . ओप्रेस्शन से पहले ही मेरी माँ की मृत्यु हो गई . वह भी इसलिए हुआ क्योकि हम वी आई पी थे .
आज से ठीक १८ साल पहले आज ही के दिन (२० सितम्बर ) को अस्पताल में ढेरो वी आई पी मेरी माँ के पास खडे थे खाली हाथ . सैकडो लाल नीली बत्ती , सैकडो कमांडो हजारो तमाशबीन गवाह थे की वी आई पी के परिवार को भी मौत आसमयिक उठा ले जाती है और उस समय वी आई पी और लाचार में कोई अंतर नहीं होता .
काश उस समय हम वी आई पी नहीं होते तो वह ओपरेशन छोटा सा डाक्टर भी किसी साधारण से अस्पताल में सफलतापूर्वक कर देता . ख़ैर अब हम आम आदमी है क्योकि वी आई पी बन बहुत कुछ खोया जो हमें फिर कभी वापिस नहीं मिल पाया .