एक थे लल्लू मियाँ , हमारे पड़ोस में काम करते थे पूरी जवानी वहां ही काम किया । फर्नीचर की पोलिश में करने में माहिर थे । बहुत ही हुनरमंद कारीगरों में गिनती थी उनकी । लेकिन एक बात बहुत मजेदार थी उनके साथ अगर उनके सामने बालूशाही नाम की मिठाई का नाम ले दो तो वह आपा खो देते थे । उनकी चिढ थी बालू शाही । हम लोग उनसे जाकर कहते लल्लू मियाँ बालूशाही खाओगे । और लल्लू मियाँ झल्ला जाते थे और घर पर शिकायत करने की धमकी देने लगते थे ।
और दूसरे थे चेतराम जो चौकीदार थे उनकी भी थी एक चिढ थी चचीडा , जो एक प्रकार की सब्जी होती है तुरई से लम्बी । जब भी उन से मज़ा लेना होता था कहते थे आज हमारे यहाँ खाना खाना सब्जी बनी है चचीडा । और चेतराम भी बिदक जाते और हम लोग ताली बजा बजा कर हँसते ।
कम से कम २० साल से ज्यादा हो गए इन बुजर्गो को गए हुए लेकिन इनकी आत्माए आज भी महसूस होती है जब कोई आदमी चिढता है तो मुझे इन दोनों की याद आती है । ऐसे ही एक आदमी की खोज की है वह है राजनाथ
यह है राजनाथ जिन्हें समय से पहले और भाग्य से ज्यादा मिला । पहचाना नही अरे पहचानिये यह भाजपा के डूबते जहाज के भागने के लिए तैयार कप्तान है राजनाथ । राजनाथ की भी एक चिढ है उनकी ही क्यो उनकी पूरी पार्टी की एक चिढ है वह है जिन्ना । जिन्ना नाम सुनते ही बिदक जाते है जैसे लाल कपड़ा देख कर साड़ बिदक जाता है ।
पता नही जिन्ना कब उनके खेत काट ले गए । जिन्ना का जिक्र करते ही उन्होंने अडवानी की बुरी हालत कर दी और बेचारे जसवंत को दरवाज़ा दिखा दिया । और जिन्ना रूपी बाउंसर का सामना करते अपनी पूरी लाइन और लेंथ भुला कर पूरी पार्टी ही बोल्ड हो गई । अबतो भाजपा और राजनाथ के सामने सिर्फ़ जिन्ना जिन्ना जिन्ना और यह सब आउट । क्योकि राजनाथ ने आज कह दिया है जो जिन्ना कहेगा वह बख्शा नही जाएगा
हमारे यहाँ भी एक बनिया था उसे जब चिढाना होता तो लड़के जय जगदम्बा माता की जय बोलते और वह पत्थर फेंकने लग जाता , उसका नाम ही बाद में जगदम्बा निकाल दिया ! हद तो तब होती जब वह दीर्घ शंका के लिए किसी बाड़ की ओट में बैठता और उसे छुपके फोलो करते लड़के जगदम्बा माता की जोर से जय बोलते तब वह दीर्घ शंका किये बिना धोती की लांग उठा लड़को के पीछे दौड़ता |
जवाब देंहटाएंदरअसल एक बार जीण माता के मेले में वह लाउड स्पीकर पर जय बुलवा रहा था लेकिन तोतली आवाज होने के कारण जगदम्बा की जगह चिक्दम्बा बोल गया बस लड़को ने उसे उसी दिन से चिडाना शुरू कर दिया |
कहीं राजनाथ जी भी यही हालत ना हो जाये !
" भाई पता नहीं क्यों हिंदी में नहीं लिख प् रहा हूँ ." न
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लोगर टिप्स पर आप की यह पुकार सुनी , मैं उपाय बताने नही आया हूँ , केवल पूछने आया हूँ कि कहीं आपने ’ब्लोगर ’ की तारीफ़ सुन कर उस पर तो नहि चले ग्ये हैं? मैं भी झेल चुका हूँ । उस समय तक उसमें हिन्दी का प्राविधान नही था।
लगता है जिन्ना का जिन ही इन्हें ले डूबेगा:)
जवाब देंहटाएंकल आप का ब्लांग मिल नही रहा था, चलिये आज आप को जन्म दिन की बधाई दे देते है, आज का लेख बहुत सुंदर ओर रोचक लगा
जवाब देंहटाएंबहुत खूब हुजूर...बढ़िया किया जो तस्वीर लगा ली। बिटिया तो मुस्कुरा रही है पर आपने क्यों मुंह फुला रखा है?
जवाब देंहटाएंऔर हां पोस्ट भी बढ़िया है। बढ़िया रूपक खींचा है आपने।
"यह है राजनाथ जिन्हें समय से पहले और भाग्य से ज्यादा मिला"
अच्छा लगा पढ़कर...लुटिया तो डूबी ही समझो इस जिन्न के चक्कर में.
जवाब देंहटाएंयह है राजनाथ जिन्हें समय से पहले और भाग्य से ज्यादा मिला । >>> पूर्णत: सहमत!
जवाब देंहटाएंअजी इनका क्या, जिन्ना तो पूरे हिन्दुस्तान का ही खेत काट कर लगाया था १९४७ में.
जवाब देंहटाएंजिन्ना चचीड़ा और बालूशाही क्या सन्योग है ।
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