तेल का खेल चलता रहता है हमेशा । बहुत पहले सिर्फ़ बजट में ही तेल के दाम बढ़ते थे साल में एक बार , अब तो हर महीने का चक्कर हो गया है । जब मन आया तो दाम उठा दिए या कुछ गिरा दिया । और सब्सिडी को बहाना बना दिया जाता है , और सबसे ज्यादा केरोसिन का रोना होता है लगभग १६ रु.का घाटा होता है १ लिटर पर ।
आख़िर मिटटी का तेल का फायदा किसे मिलता है कोई भी सवा सौ करोड़ में से एक हिन्दुस्तानी को सामने लाइए जो यह कह उसे इतना तेल मिलता है जो उसका १५ दिन का तेल का खर्चा पूरा हो जाता है । शायद कोई नही मिलेगा । क्योकि मिटटी के तेल की सप्लाई ऊठ के मुहं में जीरा है । सारा तिल्लिस्म क्या है यह जानना पड़ेगा ।
मिटटी का तेल सरकार से लेकर ग्राम प्रधान की आमदनी का एक जरिया है । हक़दार को न मिल कर ब्लैक कर दिया जाता है । पेट्रोल और डीजल में मिला कर इसका प्रयोग होता है ।
शेष आगे ............. क्योकि लाइट चली गई और कम्पुटर बंद होने वाला है
सही है.. मिट्टी का तेल कालाबजारी का जरिया है..
जवाब देंहटाएंलाइट चली गई ? रही तो रोना है !
जवाब देंहटाएंभाई लिखना ही है ना मिट्टी के तेल का लेम्प ले लॊ, हम सब उसी मै पढे लिखे है.:)
जवाब देंहटाएंमिट्टी के तेल से जनरेटर चलाओ और फिर लगो लिखने!!
जवाब देंहटाएंथीक ही कहा है. सब्सिडी का असली मजा तो बड़े लोग ही उठाते हैं. रसोई गैस पर सब्सिडी है. हम लोग महीने में एक-दो सिलेन्डर इस्तेमाल करते हैं लेकिन मजा उठाते हैं रेस्टोरेन्ट वाले जो एक दिन में १५-२० घरेलू सिलेन्डर इस्तेमाल करते हैं. इससे बेहतर तो सब्सिडी खत्म ही कर दी जाये और टैक्स कम किये जायें.
जवाब देंहटाएंलेम्प भी कैसे जलाए ? मिटटी का तेल मिलता कहाँ है गांव में जो कोटे का तेल आता है उसका तो पता ही नहीं चलता कब आया और कहाँ गया |
जवाब देंहटाएंअसली नफा तो इस किरोसिन को पेट्रोल में मिक्स करने से आता है! :-)
जवाब देंहटाएंMAAFI CHAHUNGA KE DER SE AANE KE LIYE IS CHARCHE ME... BAHOT HI SATIK AUR PURI TARAH SE PRATISHAT ME KAHI HAI AAPNE IS BAAT KO YE TO AAM JANTAA KI BAAT HAI ... JISE SABHI JAANTE TO HAI MAGAR HAK KAUN MANGE ???? BAHOT BAHOT BADHAAYEE
जवाब देंहटाएंARSH
सब सच लिखा है......... ठीक ही कहा सब्सिडी बस काला बाज़ार का माध्यम है ......... मत्ती की तेल का फायदा बस राजनीति के लोग ही करते हैं अपनी अपनी जेबों को भरने के लिए......
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