गर्मी ने मुझे भी नाकारा बना दिया । जून में सिर्फ़ चार पोस्ट ही लिख पाया जब से लिख रहा हूँ उस में सबसे कम । और नियमित लिखने वालो की ऊर्जा को सिर्फ़ अनुभव ही कर रहा हूँ । कैसे लिख लेते है रोज़ और वह भी इतना सार्थक । क्या मैं भटक गया हूँ ? पहले भी लिख चुका हूँ की आज तक कोई भी काम निरंतर नही कर पाया । ऐसा मानना मेरा जानने वालो का भी ख़ास कर मेरे पिता का ।
नियमित लिखने वाले लोगो से प्रेरणा लेकर उनकी ऊर्जा से कुछ अंश लेकर कोशिश करूँगा नियमित लिखू और ऐसा लिखू जो सार्थक हो । चुटकुलों पहेलियिओं से ऊपर उठ कर । आप से प्रार्थना है मेरे लिए कोई तरीका सुझाये जो मुझे निरंतरता बनाये रखने में सहायक हो ।
कोई तरीका मिले तो हमें भी बताना ताकि हम भी नियमित लिख सकें |
जवाब देंहटाएंनियमित रूप से चिंतन करें .. लिखने के लिए समय निकालें .. वैसे मैने भी जून में मात्र 3 पोस्ट लिखे हैं .. पर नियमित लेखन के लिए आपको शुभकामनाएं तो दे ही सकती हूं।
जवाब देंहटाएंएक्कै तरीका है कि लिखते रहें। ब्लागिंग के मूलभूत सिद्धांत इधर हैं बांच लें
जवाब देंहटाएंhttp://hindini.com/fursatiya/?p=269
जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे।
भई अगर आपको कोई नुस्खा मिल जाए तो कृ्प्या हमें भी बताने का कष्ट करें..:)
जवाब देंहटाएंआप तो लिखते रहिये.. बिना विचार किये.. विचार के चक्कर में मेरी न जाने कितने विचारों का पोस्टपात हो चुका है.. जो समझ में आये तुरंत छापो.. फिर कुछ और लगे तो संशोधन और टीप्पणी तो ्है हि.. स्वंय जज करने के बजाय पाठकों को जज करने दो.. शुभकामनाऐं..
जवाब देंहटाएंहमारी मानिए , सार्थक के चक्कर में मत पड़िए ! कुछ लोग तो जानबूझकर कुछ कमी छोड़ देते हैं ताकि छिद्रान्वेषी पाठकों को भी संतुष्टि हो सके :)
जवाब देंहटाएंधीरू जी........... आप तो बस लिखते रहिये.......... सार्थक तो होता ही है अगर आपने कुछ भी लिखा .............. इस बहस में क्यूँ जाते हैं............. आपका कर्म लिखना है लिखते रहें
जवाब देंहटाएंअनूप शुक्ल सही कह रहे हैं। बड़ी बेवकूफी से पहले छोटी कर गुजरी जाये!
जवाब देंहटाएंआप दिन मै क्या देखते है, आप पर क्या गुजरी, बचपन की कोई बात याद आ जाये,बहुत कुछ है लिखने के लिये, अगर आप यह सोचे कि मेने जो लिखा है इस से तो मेरी इजजत नही होगी तो कभी नही लिख सकते, अरे भाई हम कोई लेखक नही, सहित्यकार नही, बस अपने मनोरंजन के लिये आते है यहां, जेसे कही चार दोस्त मिले ओर गप्पे मारी, लेकिन अगर कोई महान ग्रंथ लिखना चाहते हो तो फ़िर हमे नही पता
जवाब देंहटाएंधीरु भाई, आपको सलाह की कब से जरुरत आन पड़ी। कुछ नहीं करना है। बस पैनी दृष्टि अपने चहुं ओर बनाये रखनी है। मुद्दे अपने आप शब्दों का रूप लेने लगेंगे।
जवाब देंहटाएंkuchh bhi likho, likhte raho, jo achchha lage wo ham tak pahunchao, garmi to aati jaati rahti hai!
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