गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जब माहौल देश भक्ति से भरा नज़र आ रहा है बैठे ठाले एक बात कौंध रही है . कई सदियों की लड़ाई लड़ कर हम आज़ाद हुए . लाखो शहीद हुए तब मिली आज़ादी ना कि खडग बिना ढाल मिली यह आज़ादी . और उस आज़ादी को बरकरार रखने के लिए आज़ादी के बाद कई युद्धों में हमारे हजारो वीर सैनिक अपनी जान की कुर्वानी दे चुके है .लेकिन आज तक हम उनका एक स्मारक ना बना सके . आज भी हम उस स्मारक का इस्तेमाल कर रहे है जो विश्वयुद्ध में अंग्रेजो की तरफ से लड़कर मरे भारतीयों का है
आखिर यह हमारी बीमार मानसिकता का परिचायक नही . हम अपने शहीदों को आज तक वह सम्मान ना दे सके जिसके वह हकदार थे . क्या एक स्मारक उनका नही बन सकता जो आज़ादी के लिए सर्वस्य न्योछावर कर गए . और जो आज़ादी को अक्षुण रखने के लिए शहीद हो गए . क्या राजपथ पर उनका हक़ नही . क्या यह अभिलाषा कभी पूरी नही होगी ?
तो क्यों ना एक मुहीम चालू हो आज से एक स्मारक बने अपने लोगो का जो अपनो के लिए शहीद हो गए . अपने देश के लिए शहीद हो गए .
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये (?)उस संविधान की भी जय हो जिसमे ९४ पैबंद (अब तक)
आपको भी शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंवीरों का समुचित सम्मान हो।
जवाब देंहटाएंक्या कहें ...
जवाब देंहटाएंसब को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !
जय हिंद !
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
अपसे सहम्त वीरों का सम्मान होना ही चाहिये। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअच्छा विचार है, बात आगे बढनी चाहिये!
जवाब देंहटाएंअच्छा विचार, वीरों का सम्मान होना ही चाहिये ....गणतन्त्र दिवस की
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
वीरों को अभी तक सम्मान नही मिला तो अब क्या मिलेंगा ....
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