अभी अभी मैं एक नामकरण संस्कार की दावत खा कर लौटा हूँ . यह कोई ख़ास बात नही और ना ही ब्लॉग में लिखने वाली बात है लेकिन मुझे लगा कि इस दावत के बारे में बताना ही चाहिए . इसलिए मैं बता रहा हूँ .
करीब दस साल पहले मेरे एक जानपहचान वाले ने अंतरजातीय विवाह किया परिवार से खिलाफ जाकर . नव दम्पति जो पढ़े लिखे थे जीवन यापन के लिए गाँव में एक छोटा सा स्कूल खोला . कठिन परिस्तिथियों का सामना करके अपना संघर्ष शुरू किया . सफलता मिलती रही और आज वह दो बड़े इंटर कालेज चला रहे है . समय या कहें मिलती सफलता और धन ने फिर से सब रूठे रिश्ते मिला दिये .
लेकिन एक कमी थी सन्तान नही थी . पता चला कि पत्नी माँ नही बन सकती . लेकिन पत्नी को माँ का सुख चाहिए था इसलिए उसका एक फैसला निश्चित ही चौकाने वाला था .पत्नी ने अपने पति की दूसरी शादी कराने की ठान ली . कल्पना कीजिये कैसे वह क्षण होंगे . फिर शादी हुई और फिर पुत्र ...................... उसी बच्चे का आज नामकरण संस्कार था . और जो कार्ड छपा था उसमे दोनों माओं का नाम था .
यही बात मैं आपको बताना चाहता था . माँ की ममता ही कहेंगे इसे या ..............................
अद्भुत है यह कृत्य।
जवाब देंहटाएंगजब है..
जवाब देंहटाएंपत्नी ने किसी बच्चे को गोद लेने का विचार क्यूँ नहीं किया?
जवाब देंहटाएंया पति किसी अन्य का गोद लेना नहीं चाह रहे थे?
जिज्ञासा हुई इसलिए पूछ दिया यहाँ टिप्पणी में.
ये आपसी समझ का निर्णय रहा होगा, फिर भी ममता के लिए ऐसा बलिदान (विकल्प) उचित नहीं दिखता.
बहुत सुंदर, अब इसे क्या कहे ?
जवाब देंहटाएंउपरोक्त घटना को पूर्णत: माँ की ममता तो नहीं कहा जा सकता है , हाँ इस घटना के पीछे कही-न-कहीं माँ की ममता की भूमिका भी जरुर रही होगी ! जो भी हो ! यह घटना समाज के लिए एक ऐसे समझौते के रूप में सामने आती है जो निसह्देह एक सराहनीय प्रयास है , उपरोक्त दम्पति को ढेरों बधाइयाँ और एक अच्छी पोस्ट हेतु आपका आभार...................
जवाब देंहटाएंओह सच में बहुत ही चौकाने वाला फैसला रहा , मैं तो इसे बलिदान ही कहूंगा ।
जवाब देंहटाएंशायद ममता ... या शायद ... बलिदान !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - नयी दुनिया - गरीब सांसदों को सस्ता भोजन - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
ममता और बलिदान का अद्भूत संगम
जवाब देंहटाएंहृदय की विशालता । बड़ी सोच ।
जवाब देंहटाएंफैसला
जवाब देंहटाएंसच में,,, चौंकाने वाला ही लगा
दोनों माओं की सराहना
की जानी चाहिए .
लीक से हट कर लोग हैं। या शायद लीक से हट कर दीखने की भावना को समर्पित लोग!
जवाब देंहटाएं