सोमवार, अप्रैल 26, 2010

थोड़ी सी समाजसेवा

दो दिन पहले मेरे क्षेत्र में एक गाँव में एक मकान की दीवार अचानक गिर गई . गली में खेलते तीन बच्चे उस में दब गए और उनकी दर्दनाक मौत हो गई . ८ साल ,६ साल और ४ साल के उमर के थे बच्चे . गरीब किसान के बेटे थे वह . जो मजदूरी कर के अपना व अपने परिवार का पेट पालते है . एक गरीब परिवार की पूंजी उनके बच्चे ही होते है . तीन घरो के चिराग बुझ गए . उसमे एक बच्चा तो अपने ६ चाचा ताउओ में एकलौता बेटा था . 


पूरा गाँव शोकाकुल है . पूरे मोहल्ले में उस दिन खाना नहीं बना . बिलखते परिवारजन चीखती माए और बहिने पत्थरदिल को भी पिघला रही थी . खैर गम तो वही सहता है जिस पर बीतती है . हम तो सहानुभूति ही प्रकट कर सकते है . जो है सो है लेकिन 


सरकार आकस्मिक मृत्यु  होने पर मुआवजा देती है लेकिन अधिकारियों ने इसे आपदा मानने से इनकार कर दिया .मेरी समझ में नहीं आता गली में जाते हुए बच्चो पर कोई दीवार गिर जाए और उनकी मौत हो जाए तो क्या वह देवीय आपदा नहीं है . इसी बात को समझाने के लिए आज पीड़ित परिवार और गाँव वालो के साथ मैं और मेरे साथी जिलाधिकारी से मिले . आश्वासन मिला है फिर से रिपोर्ट मांगी जा रही है . आगे क्या होता यह तो सिस्टम जाने .





7 टिप्‍पणियां:

  1. bahut achha prayas manavta isi ka naam hai...aap jaise log aajkal milte kahan hai .aapka blog bahut achha hai..

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  2. सिस्टम की सिस्टम जाने पर इन्सानियत का सिस्टम नहीं बिगड़ना चाहिए, और नहीं बिगड़ा है इसे हमेशा आप जैसे संवेदनशील और सक्रिय लोगों ने साबित किया है।

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  3. बहुत अच्छा है, आप लगे रहिये । सुख लगे रहने में ही है । सफलता मिलन से सुख और बढ़ जाता है ।

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  4. दुखद घटना है ... आपका प्रयास भी सराहनीय है ... आशा है आपका प्रयास सफल होगा ...

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  5. लोक कल्याणकारी सरकार है, तो सरकार को कदम उठाने चाहियें।
    आपके प्रयास को साधुवाद।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा