बुधवार, अप्रैल 21, 2010

जनरेशन गैप

वह समझ नही पाते 
शायद 
उम्र हावी हो चली 
उनकी जिद 
बच्चो जैसी हो गई 
बात बात में गुस्सा 
बात बात में तकरार 
बुढापे में 
ऐसा क्यों हो जाता है 
लेकिन 
अकस्मात 
मन में बचपन कौंध जाता है 
जब कोई नहीं समझता था हमें 
तो वह मन की समझते थे 
हमारी हर जिद को पूरा किया करते थे 
कभी अलकसाए नहीं गोद में लेते हुए 
हमारे सुख  के लिए 
अपनी खुशियाँ कुर्बान  कर  देते थे 
और 
आज 
हम इतने बड़े हो गए 
उनकी बाते 
उनकी सीख 
हमें परेशान कर जाती है 
उनके द्वारा मिले अस्तित्व पर ही 
चुनौती सी नज़र आती है 
यह हमारी अहसानफरामोशी 
शायद 
जनरेशन गैप 
कहलाती है 

8 टिप्‍पणियां:

  1. यह वात्सल्य भी न, बस वन वे ट्रैफिक होता है जो पिछली पीढी से नयी की तरफ गिरते रहने को अभिशप्त है. आप साथ तो हैं, कितने बदनसीब तो उनकी बुढापे की लाठी भी नहीं बन पाते जिन्होंने सारा दिन कन्धैया चढ़ाकर घुमाया था.

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  2. बहुत सुंदर लिखा.... जब मां बाप के मुंह मै दांत ना हो तो बच्चे कहते है कि आप की बात समझ मै नही आती, लेकिन वो नोजवान यह भुल जाता है जब वो एक दिन का था उस समय भी यही मां बाप उस की भाषा समझते थे......लेकिन जेसा बोया वो तो वापिस मिलेगा ही

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  3. धीरू जी, अनुराग जी ने सब कुछ तो कह दिया..

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  4. अनुराग जी बहुत गूढ़ बात कह गये ...यह सिर्फ आप नहीं, सभी के साथ सदियों से होता आया है.

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  5. धीरू भैया, आज तो नि:शब्द कर दिया है आपने।
    बहुत खूब लिखा है।
    आभार स्वीकार करें।

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  6. झकझोर कर रख दिया आपकी इस पोस्ट ने भाई जी !

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  7. धीरू जी ... ये गैप हमारी तरह से ही होता है ... बड़े बुजुर्ग तो आज भी कोशिश करते हैं बच्चों को समझने और समझाने की ... बहुत अच्छा और संवेदन लिखा है ...

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा