वह समझ नही पाते
शायद
उम्र हावी हो चली
उनकी जिद
बच्चो जैसी हो गई
बात बात में गुस्सा
बात बात में तकरार
बुढापे में
ऐसा क्यों हो जाता है
लेकिन
अकस्मात
मन में बचपन कौंध जाता है
जब कोई नहीं समझता था हमें
तो वह मन की समझते थे
हमारी हर जिद को पूरा किया करते थे
कभी अलकसाए नहीं गोद में लेते हुए
हमारे सुख के लिए
अपनी खुशियाँ कुर्बान कर देते थे
और
आज
हम इतने बड़े हो गए
उनकी बाते
उनकी सीख
हमें परेशान कर जाती है
उनके द्वारा मिले अस्तित्व पर ही
चुनौती सी नज़र आती है
यह हमारी अहसानफरामोशी
शायद
जनरेशन गैप
कहलाती है
बात बात में तकरार
बुढापे में
ऐसा क्यों हो जाता है
लेकिन
अकस्मात
मन में बचपन कौंध जाता है
जब कोई नहीं समझता था हमें
तो वह मन की समझते थे
हमारी हर जिद को पूरा किया करते थे
कभी अलकसाए नहीं गोद में लेते हुए
हमारे सुख के लिए
अपनी खुशियाँ कुर्बान कर देते थे
और
आज
हम इतने बड़े हो गए
उनकी बाते
उनकी सीख
हमें परेशान कर जाती है
उनके द्वारा मिले अस्तित्व पर ही
चुनौती सी नज़र आती है
यह हमारी अहसानफरामोशी
शायद
जनरेशन गैप
कहलाती है
आईये... दो कदम हमारे साथ भी चलिए. आपको भी अच्छा लगेगा. तो चलिए न....
जवाब देंहटाएंयह वात्सल्य भी न, बस वन वे ट्रैफिक होता है जो पिछली पीढी से नयी की तरफ गिरते रहने को अभिशप्त है. आप साथ तो हैं, कितने बदनसीब तो उनकी बुढापे की लाठी भी नहीं बन पाते जिन्होंने सारा दिन कन्धैया चढ़ाकर घुमाया था.
जवाब देंहटाएंप्यार भी ऊपर से नीचे ही बहता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा.... जब मां बाप के मुंह मै दांत ना हो तो बच्चे कहते है कि आप की बात समझ मै नही आती, लेकिन वो नोजवान यह भुल जाता है जब वो एक दिन का था उस समय भी यही मां बाप उस की भाषा समझते थे......लेकिन जेसा बोया वो तो वापिस मिलेगा ही
जवाब देंहटाएंधीरू जी, अनुराग जी ने सब कुछ तो कह दिया..
जवाब देंहटाएंअनुराग जी बहुत गूढ़ बात कह गये ...यह सिर्फ आप नहीं, सभी के साथ सदियों से होता आया है.
जवाब देंहटाएंधीरू भैया, आज तो नि:शब्द कर दिया है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है।
आभार स्वीकार करें।
झकझोर कर रख दिया आपकी इस पोस्ट ने भाई जी !
जवाब देंहटाएंधीरू जी ... ये गैप हमारी तरह से ही होता है ... बड़े बुजुर्ग तो आज भी कोशिश करते हैं बच्चों को समझने और समझाने की ... बहुत अच्छा और संवेदन लिखा है ...
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