जैसे हम अपने मित्रों, परिचितों, सम्बन्धियों से बातचीत करते हैं, उनकी सुनते हैं, अपनी सुनाते हैं, वैसे ही ब्लॉगिंग करते है। आपसी बातचीत में कभी-कभार शेरो शायरी भी हो जाती है और कभी चुटकुले भी, यहाँ भी वही है। हाँ, जैसे मित्रों की बैठक/चौपाल में भी कुछ मित्र अपने विशेष उद्देश्य के लिये आते हैं सो यहाँ भी आपको बडे नम्बरदार से लेकर धर्म परिवर्तनकार तक सभी मिल जायेंगे, मगर ऐसे लोग अपवाद हैं मित्र नहीं।
साहित्य एक रचना कर्म है जबकि ब्लागिंग एक माध्यम है। साहित्य की अभिव्यक्ति चाहे पेपर पर हो अथवा नेट पर साहित्य की गुणवत्ता हमेशा प्रासंगिक रहेगी। नेट और पेपर एक माध्यम हैं और इसे इसी रूप मे देखा जाना चाहिए। दोनों के अपने अपने महत्व और विशेषताएँ हैं। ब्लागिंग अभी अपने विकास के दौर मे है इस लिए वर्षों से स्थापित अकादमिक साहित्य से तुलना नहीं की जा सकती। लेकिन इसकी वैश्विक पहुँच और अभिव्यक्ति की उन्मुक्त उड़ान भविष्य मे ढेरों आयाम एक साथ समाहित करेगी ऐसा लगता है।
अजी अब रोजाना तो भारत नही आ सकते, फ़िर यहां इतने अपने वाले नही, जो हे सब विजी हे, इस लिये मेरा लेपटाप चाय की दुकान हे, यहां आ कर मे एक चाय का कप २५ पैसे का पीता हुं ओर आप सब से मन लगा कर खुब गप्पे मारता हुं, दिल बहल जाता हे ओर प्रदेश मे अपने मिल जाते हे, बस ओर कोई कारण नही,साहित्य कार ना हुं ना ही बन सकता हुं.मेरी गप्पो को कुछ भी कहो :)
ब्लागिंग का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है. किसी के लिए ब्लागिंग अपनी प्रतिभा को सामने लाने का माध्यम हो सकता है तो किसी के लिए टाईम पास का जरिया. कोई ब्लागिंग इसलिए करता है ताकि अपने स्वभाव और प्रकृति से मिलते-जुलते लोगों से जुड़ सके तो कोई अपना अकेलापन दूरकर अवसादग्रस्त होने से बचता है. बरखुदार आपको अपनी राय भी तो देनी चाहिए थी :)
जैसे हम अपने मित्रों, परिचितों, सम्बन्धियों से बातचीत करते हैं, उनकी सुनते हैं, अपनी सुनाते हैं, वैसे ही ब्लॉगिंग करते है। आपसी बातचीत में कभी-कभार शेरो शायरी भी हो जाती है और कभी चुटकुले भी, यहाँ भी वही है। हाँ, जैसे मित्रों की बैठक/चौपाल में भी कुछ मित्र अपने विशेष उद्देश्य के लिये आते हैं सो यहाँ भी आपको बडे नम्बरदार से लेकर धर्म परिवर्तनकार तक सभी मिल जायेंगे, मगर ऐसे लोग अपवाद हैं मित्र नहीं।
जवाब देंहटाएंसाहित्य एक रचना कर्म है जबकि ब्लागिंग एक माध्यम है। साहित्य की अभिव्यक्ति चाहे पेपर पर हो अथवा नेट पर साहित्य की गुणवत्ता हमेशा प्रासंगिक रहेगी। नेट और पेपर एक माध्यम हैं और इसे इसी रूप मे देखा जाना चाहिए। दोनों के अपने अपने महत्व और विशेषताएँ हैं। ब्लागिंग अभी अपने विकास के दौर मे है इस लिए वर्षों से स्थापित अकादमिक साहित्य से तुलना नहीं की जा सकती। लेकिन इसकी वैश्विक पहुँच और अभिव्यक्ति की उन्मुक्त उड़ान भविष्य मे ढेरों आयाम एक साथ समाहित करेगी ऐसा लगता है।
जवाब देंहटाएंजिसके लिये साहित्य लिखते हैं उसी के लिये ब्लॉगिंग भी करते हैं।
जवाब देंहटाएंअजी अब रोजाना तो भारत नही आ सकते, फ़िर यहां इतने अपने वाले नही, जो हे सब विजी हे, इस लिये मेरा लेपटाप चाय की दुकान हे, यहां आ कर मे एक चाय का कप २५ पैसे का पीता हुं ओर आप सब से मन लगा कर खुब गप्पे मारता हुं, दिल बहल जाता हे ओर प्रदेश मे अपने मिल जाते हे, बस ओर कोई कारण नही,साहित्य कार ना हुं ना ही बन सकता हुं.मेरी गप्पो को कुछ भी कहो :)
जवाब देंहटाएंWe write blogs because we enjoy doing so and in the process we are contributing to the society as well .
जवाब देंहटाएंअपना अपना समय और अपनी अपनी समझ :)
जवाब देंहटाएंबस यूं ही और क्यों..
जवाब देंहटाएंहम ब्लोगिग करते क्यों है ? .....क्योंकि हम ब्लॉगर हैं :)
जवाब देंहटाएंहम ब्लोगिग करते क्यों है ? ...आपका उत्तर जानने की भी जिज्ञासा रहेगी धीरू भाई
ब्लागिंग का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है. किसी के लिए ब्लागिंग अपनी प्रतिभा को सामने लाने का माध्यम हो सकता है तो किसी के लिए टाईम पास का जरिया. कोई ब्लागिंग इसलिए करता है ताकि अपने स्वभाव और प्रकृति से मिलते-जुलते लोगों से जुड़ सके तो कोई अपना अकेलापन दूरकर अवसादग्रस्त होने से बचता है.
जवाब देंहटाएंबरखुदार आपको अपनी राय भी तो देनी चाहिए थी :)
जितने जवाब मिलेंगे उतने ही विचार मिलेंगे ।
जवाब देंहटाएंसभी जवाबों से सहमत:)
जवाब देंहटाएंसच में।
अपनी अपनी समझ.नए लोगों से मिलना और बातें सुनना अच्छा लगता है ..
जवाब देंहटाएंउत्तर जानने की भी जिज्ञासा हे धीरू भाई ...
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