यह कहानी नही एक हकीक़त है .
हमारे शहर के पास रामगंगा नाम की नदी बहती है . जो की गंगा में जा कर मिल जाती है . हमारे यहाँ उसे गंगा का ही दर्जा प्राप्त है .
पड़ोस के शहर के एक सर्राफा व्यापारी के सगे बाप मर गए . व्यापार में फसे रहने के कारण बाप की अस्थिया विसर्जन करने का वक्त नही मिल पा रहा था . एक दिन बरेली आना हो रहा था व्यापार के सिलसले में तो उसने सोचा लगे हाथो बाप की अस्थियो को भी गंगा में समर्पित कर दिया जाए . सो बाप की अस्थिया जो लाल कपडे में थी रखी और अपने सोने चांदी के जेवर जो लाल थैले में थे भी साथ रख लिए . और अपने नौकर के साथ कार में चला .
बेटा बाप की अस्थिया ले कर चला जब पुल पर पहुंचा तभी किसी का फोन आ गया उसने नौकर से कहा लाल थैले को गंगा जी में खोल कर सिरा दो . नौकर ने आदेश का पालन किया . बिना देखे थैला खोल कर गंगा जी में थैले का सामान सिरा दिया तभी जब उसकी नज़र पड़ी तब तक थैले में भरा सोना चांदी गंगा जी की भेट चढ़ गया . कहा तो जाता माल कई लाख रूपये का था
और पिता की आत्मा शायद यह देखकर मुस्काराई जरूर होंगी . बेटे को इतनी भी फुर्सत नही मिली कि वह कार से उतर कर विधी विधान से अस्थियो का विसर्जन कर देता .
हमारे शहर के पास रामगंगा नाम की नदी बहती है . जो की गंगा में जा कर मिल जाती है . हमारे यहाँ उसे गंगा का ही दर्जा प्राप्त है .
पड़ोस के शहर के एक सर्राफा व्यापारी के सगे बाप मर गए . व्यापार में फसे रहने के कारण बाप की अस्थिया विसर्जन करने का वक्त नही मिल पा रहा था . एक दिन बरेली आना हो रहा था व्यापार के सिलसले में तो उसने सोचा लगे हाथो बाप की अस्थियो को भी गंगा में समर्पित कर दिया जाए . सो बाप की अस्थिया जो लाल कपडे में थी रखी और अपने सोने चांदी के जेवर जो लाल थैले में थे भी साथ रख लिए . और अपने नौकर के साथ कार में चला .
बेटा बाप की अस्थिया ले कर चला जब पुल पर पहुंचा तभी किसी का फोन आ गया उसने नौकर से कहा लाल थैले को गंगा जी में खोल कर सिरा दो . नौकर ने आदेश का पालन किया . बिना देखे थैला खोल कर गंगा जी में थैले का सामान सिरा दिया तभी जब उसकी नज़र पड़ी तब तक थैले में भरा सोना चांदी गंगा जी की भेट चढ़ गया . कहा तो जाता माल कई लाख रूपये का था
और पिता की आत्मा शायद यह देखकर मुस्काराई जरूर होंगी . बेटे को इतनी भी फुर्सत नही मिली कि वह कार से उतर कर विधी विधान से अस्थियो का विसर्जन कर देता .
ऊपर वाला सब देख रहा है, वह न्याय कर देता है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंईश्वर के आगे किसी की नहीं चलती ...
जवाब देंहटाएंहोए वही ... जो राम रची राखा !
जवाब देंहटाएंपिताजी धन्य हो गये होंगे...
जवाब देंहटाएंहो गया सही हिसाब....
जवाब देंहटाएंधिक्कार है ऐसे व्यापार को जिसमे पारिवारिक कामों के लिए भी समय ना मिले
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