मेरी भी जिन्दगी भी क्या जिन्दगी है जब आराम किया तब आराम किया सारे रिकार्ड तोड़ दिये आराम करने में .पहले मेरी दिन चर्या थी सुबह सो कर उठना नित्यक्रिया से निवृत होकर अखबार पढ़ना उसके बाद नाश्ता फिर इंटरनेट ............ ब्लॉग शलाग तब तक लंच तैयार उससे पहले स्नान फिर भोजन उसके बाद दोपहर में आराम ................. शाम को सो कर उठना फिर टीवी ,इंटरनेट कोई आ गया तो उससे मिललिए फिर डिनर उसकेबाद फिर इंटरनेट और फिर सोना . कितनी मेहनत करनी पड़ती थी आराम करने पर . कुछ लोग जो शुभ चिन्तक थे हलके से कुछ कहते थे तो मैं कहता था जब भगवान् सुबह उठाने से पहले मेरे तकिये के नीचे ५००० रु . रख देता है तो मुझे काम करने की क्या जरुरत .........पर फिर किसी की नज़र लग गई मुझे .
समय ने मेरे साथ एक खेला बात बात में एक व्यापार की बात हुई घर के सब लोग इस बात पर राजी थे अगर मैं खुद यह काम देखू तो ही काम करा जाएगा . मेरा समय खराब था मैंने हां कर दी . और वही बात मेरे गले पड़ गई आज मेरी हालत कोल्हू के बैल की तरह हो गई है आज स्थति यह है . सुबह जल्दी उठना चाय पीते हुए सरसरी तौर पर अखवार पढ़ना ८ बजे से पहले नहाना फिर नाश्ता या कहें खाना खा कर ५० किमी कार चला कर साइड पर पहुचना . दिन भर वहा खपे रहना शाम को ५ -६ बजे चल कर एक घंटे की ड्राइव कर फिर घर पर वापिस आना . तब तक इतनी शक्ति नही बचती कुछ करा जाए . रात में जल्दी खाना खा कर . मेल चेक करना दो चार पोस्ट पढ़ना और लिखने का मन होने के वावजूद पोस्ट ना लिख पाना .
यह मेरी हालत हो गई . मैंने तो कुल्हाड़ी पर पैर मारा है या कहें एक षड्यंत्र का शिकार हो गया मैं . इसी बीच मेरे पैर में चोट लग गई . मेरे डाक्टर ने तीन हफ्ते का बेड रेस्ट बताया लेकिन समय ना मिलने के कारण एक दिन का भी रेस्ट ना मिल सका . आज भी स्टिक लेकर रोज़ चाकरी बजा रहा हूँ .
वाह री किस्मत .........
ऐसी किस्मत सभी को मिले...
जवाब देंहटाएंसभी को ऐसी ही कुल्हाड़ी मिले पैर मारने को...
:)
वक़्त- वक़्त की बात है...समय सदा एक सा नहीं रहता ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचलते -चलते पर आपका स्वागत है
किस्मत के खेल निराले मेरे भैय्या....
जवाब देंहटाएंयह हमारे डाक्टर साहब का कमेंट है बज्ज पर
जवाब देंहटाएंDr. Satyendra singh - aaram kar lo dheeru kaam to jindagi bhar hota rahega
दुनिया से सुख देखा नहीं जाता है जी किसी का, देख लो आराम भी नहीं करने दिया आपको। वो कविता पढ़ी नहीं होगी आपके सलाहकारों ने,
जवाब देंहटाएं’आराम करो, आराम करो- आराम शब्द में राम छुपा, जो भवबंधन को खोता है’ या फ़िर शायद राम का नाम आने के कारण कहीं आप साम्प्रदायिक न समझ लिये जायें, इसलिये कुल्हाड़ी और पैर मिलवा दिये। कोई बात नहीं जी, जल्दी से ठीक हो जाओ, फ़िर आराम से आराम करना:)
ऊपर वाला पाँसे फेंके, नीचे चलते दाँव,
जवाब देंहटाएंकभी धूप तो कभी छाँव..
जल्दी से ठीक हो जाओ,
जवाब देंहटाएंवक़्त- वक़्त की बात है
Get well soon !
जवाब देंहटाएंतभी तो मैं सोचु की भाईजी गायब कहा हो गए आज कल :)
जवाब देंहटाएंचलिए जल्दी से ठीक हो जाइये ................... और आराम तो हराम हो ही चुका आपका ...........जब उखली में सर दे ही चुके तो मुसल से क्या डरना ............हा वोह तकिये के नीचे ५००० हज़ार वाला तंतर/मंतर मुझे भी बता दीज्यो!!!!!!!!!!!!!
ये तो और भी अच्छी बात है ... कुछ न कुछ करने को तो है ... बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास कुछ करने को नहीं ... टाइम पास नहीं होता उनका ....
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