बेचारी अदालत और केंद्र सरकार ने इशरत जहाँ को मासूम माना था . एक निर्दोष महिला व उसके साथियो को बेहरहमी से क़त्ल कर मोदी ने देश में अशांति फैलाने का काम किया था . नरेंद्र मोदी को कट्टर हिन्दू नेता के तौर पर लश्कर ने ही स्थापित किया जिससे देश में अराजकता फैले . और मोदी को केंद्र सरकार ने जब कटघरे में घेरा तो लश्कर ने अपने साथी को बचाने के लिए उन मासूमो को अपना साथी कहा और अपना फिदायनी तक बताया . यह एक साजिश है फसे मोदी को बचाने की जो केंद्र और धर्मनिरपेक्ष ताकते कतई बरदाश्त नहीं करेंगी .
नोट :- यह सब लिखा पर्चा कांग्रेस के एक प्रवक्ता की जेब से रुमाल निकालते समय गिर गया जो १० जनपथ से बाहर निकल रहे थे . उनके साथ कई स्वनामधन्य टी वी मालिक और पत्रकार भी थे .
सच्चे का बोलबाला, झूठे का मुंह काला.
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंजोर का झटका धीरे से! जोरदार व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा और सटीक व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंhttp://blog4varta.blogspot.com/2010/07/4_4248.html
जय भीम आपने ठीक आकलन किया मैं ने भी पेरियार की जेब से गिरे पर्चे उठाए है उन्हे भी पढ़ें
जवाब देंहटाएंयही है आज का सत्य.
जवाब देंहटाएंकरारी चोट्! बहुत बढिया.....
जवाब देंहटाएंक्या कस के मारा है साहब जी...जोरदार सत्य!!!
जवाब देंहटाएंजग जाहिर सी बात है. :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया.
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा , सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंमान गये आपके अंदाज़ को ... इसे कहते हैं पुच्कार के मारना ... करारा व्यंग ...
जवाब देंहटाएंaap log jaise log rahe to des me kabhi shanti nahi ho sakti hai, aur bahas karni ho is matter per to mail kare sunit333@rediff.com
जवाब देंहटाएंup me rahte hai na gujrat me rah kar dekhia pata chal jayega. es tarah ka blog na likhe shanti bhang hoti hai. thank you