गुरुवार, अप्रैल 01, 2010

यदि ब्लॉग में टिप्पणी का प्रावधान हटा दिया जाए तो क्या ब्लॉग को ब्लॉग कहलाना चाहिए ?


बैठे बैठे एक बात दिमाग में घुसी है .आप का नजरिया क्या है जानना आवश्यक लग रहा है . 


यदि ब्लॉग में टिप्पणी का प्रावधान हटा दिया जाए तो क्या ब्लॉग को ब्लॉग कहलाना चाहिए ?

ब्लॉग की अवधारणा में शायद टिप्पणी का सबसे बड़ा योगदान है . अपने विचारो को जो हम ब्लॉग पर लिखते है उसका प्रतिफल हमें टिप्पणी के रूप में मिलता है . टिप्पणी को पारितोषक भी समझ सकते है . मेरा मानना है जिस ब्लॉग में टिप्पणी का विकल्प नहीं उसे ब्लॉग नहीं मानना चाहिए . 

मैं कहाँ तक सही हूँ बताये .

17 टिप्‍पणियां:

  1. तब तो गीता का वचन ही हमें बचा पायेगा
    कर्म्ण्ये वाधिकारस्ते मा ----

    जवाब देंहटाएं
  2. आप से एकदम सहमत नहीं। ब्लॉग बिना टिप्पणी के भी होता है और उसे ब्लॉग ही कहलाना चाहिए।
    ज्ञानी जन कारण भी बताएँगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. आप सही कहते हैं। टिप्पणी सुविधा इसे सामाजिक बनाती है। वह न होगी तो सब वीर झंडे फहराते रहेंगे और पता भी नहीं लगेगा कि जंगल में मोर तो नाचा पर देखा किस किस ने।

    जवाब देंहटाएं
  4. नहीं जी, फ़िर तो ब्लाग का आकर्षण ही खत्म हो जायेगा। टिप्पणियों से ही समग्रता मिलती है किसी पोस्ट को।

    जवाब देंहटाएं
  5. टिप्‍पणी से पाठकों की रूचि और जिज्ञासा का तथा अपने विचारों की सार्थकता या निरर्थकता का पता चलता है .. मेरे ख्‍याल से बहुत आवश्‍यक है टिप्‍पणियां !!

    जवाब देंहटाएं
  6. टिप्पडी बॉक्स तो होना ही चाहिए
    आदत जो लग गई है टीपने की :)

    जवाब देंहटाएं
  7. ब्लॉग = वेब+ लोग = लेखा-जोखा/डायरी जो कि वेब पर उपलब्ध है. यहाँ, लेखन प्रमुख है और टिप्पणी का होना/दिखना गौण है. यह बात अलग है कि टिप्पणी किसी भी पोस्ट को एक तरह की इंटर-एक्टिविटी प्रदान और संवाद की संभावना करती है.

    जवाब देंहटाएं
  8. ब्लॉग पर टिप्पणी का प्रावधान हटा दिया जाए तो फिर अखबार और ब्लॉग में कोई अंतर ही नहीं रह जायेगा |

    जवाब देंहटाएं
  9. आप तो पा गए इस टिप्पणी को मिलकर कुल दस टिप्पणियां, आपका तो ब्लॉग है पर हमारे को अब क्या नाम दें, हम तो टिप्पणी लेते ही नहीं?
    अब आप इस सवाल के लिए भी जवाब जुटाएं "उस ब्लॉग को क्या कहेंगे जिसमें टिप्पणी की सुविधा होने के बाद भी कोई टिप्पणी नहीं करता हो?"
    हमारे मानना है कि टिप्पणी से आपको अपने लिखे होने का सही गलत का आकलन मिल जाता है पर ये कहना कि टिप्पणी का प्रावधान बंद कर देने से ब्लॉग ब्लॉग नहीं रहेगा नितांत गलत है. अब बहस करिए कि यदि ये सही भी है तो फिर उसे ब्लॉग नहीं तो क्या कहेंगे?
    आजकल ब्लोगिंग इसी कारण ज्यादा चर्चित है................. बिना काम की बहस के लिए...................लगे रहो भाई जी
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

    जवाब देंहटाएं
  10. टिप्पणी की सुविधा ना होनेब पर ब्लांग तो ब्लांग ही रहेगा, लेकिन उस के पढने का मजा जाता रहेगा... क्योकि कई बार लेख से ज्यादा टिपण्णियां मजे दार होती है, जेसे गोलगप्पे से ज्यादा उस का पानी चटकारे दार होता है, लेकिन बिना गोल गप्पे के उस का पानी कोन पीता है जी

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरे अनुसार तो ब्लॉग याने बला की आग है. याने;
    आदत पड़ जाए तो यह बला है !
    ऊपर से कोई इस पर गौर न करे याने टिपण्णी विहीन पोस्ट चला जाय तो तो पोस्ट लिखने वाले को ही पता चलता है कि यह बला पालना उसे कितना खला है. इसलिए ब्लॉग लेखन जारी रखें पर टिपियाना भी चलने दें.

    जवाब देंहटाएं
  12. मुझे स्‍मार्ट इं‍डियन का विचार संतुलित और सही लग रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  13. जी, हम तो कल DisQus की इण्टरेक्टिव टिप्पणी व्यवस्था लगाने जा रहे हैं। मेरे ख्याल से सामान्यत: टिप्पणी होनी चाहियें।

    जवाब देंहटाएं
  14. मुझे लगता है टिप्पणियाँ ज़रूरी हैं ... सार्थक टिप्पणी हमेशा प्रेरित करती है ..

    जवाब देंहटाएं
  15. यह महिला (Anjum Sheikh)यहाँ भी आ सकती है. इसलिए.

    Anjum Sheikh
    जब आपका पति (अगर आप विवाहित हैं तो) आपके सर पर आपकी तीन-तीन सौतने लाकर बिठा देगा. तब आपको पता चलेगा. हो सकता है आप इस बात के लिए भी तैयार हों कि आपका पति चार-चार औरतों के साथ सोये (जिसे ग्रुप सेक्स कहते हैं). ईश्वर न करे आपका ससुर आपके साथ...(इमराना जैसा कुछ हो) और फिर आपको धक्के देकर घर से निकाल दिया जाए तब, आपको पता चलेगा कि आप किन कुप्रथाओं का समर्थन कर रही हैं.
    आपको देखकर नहीं लगता कि आप पर्दा करने वाली औरत हैं. क्या यही आपका इस्लामी लिबास है???????? क्या इस तरह नेट पर बैठकर गैर मर्दों के साथ बतियाने की इस्लाम आपको अनुमति देता है. इस्लाम में फोटो खिंचवाना मना है. फिर क्यों आपने फोटो खिंचवाया.
    नेट के ज़रिये गैर मर्दों से बतियाने को कुरान में क्या कहा गया है, अवश्य बताइयेगा. हम भी हिंदी का कुरआन लाकर ज्ञान बाधा लेंगे.
    किसी ने ठीक ही कहा है, औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन है. आज देख भी लिया.

    आप खुद क्यों बुर्का नहीं पहनती, बेपर्दगी फैलाती फिर रही हैं????

    जवाब देंहटाएं

आप बताये क्या मैने ठीक लिखा