गुरुवार, अगस्त 06, 2009

वोट के भवंर में डूबेंगी यह तीन फासियाँ भी

एक फ़ैसला और हुआ । उसकी भी धज्जिया उड़ते हुए हम देखेंगे । आज अदालत ने मुम्बई बम धमाको के तीन अभियुक्तों को फासीं की सज़ा सुना दी । शाबास या कहे धन्यवाद कानून को जिन्दा बताने के लिए ।

लेकिन हम वह है जो जीते युद्घ मेजों पर हार जाते है । हुई सजाओ का क्रियान्वन नही कर सकते है । क्योकि हमारे लिए देश कानून से उची एक चीज है ,वह है वोट और वोट के भवर में तमाम फैसले डूब जाते है जो कानून के द्वारा होते है । शाहबानो केस हो या अफजल केस हो । हम मो.युनुस के साहबजादे को तो विदेश से सज़ा को माफ़ करा कर बापिस ला सकते है क्योकि वह धरोहर था १५ अगस्त ४७ को पैदा हुआ था लेकिन सरबजीत को नही जो निर्दोष है ।

हम आतंकियों को मय फिरोती के ससम्मान उनके घर छोड़ के आते है । पुरलिया में हथियार गिराने वाले पायलट को छोड़ देते है , दाऊद को मय परिवार के जाने देते है । ऐसे न जाने कितने उधारण होंगे जो हमें शर्मिंदा तो करते है लेकिन आंदोलित नही ।

ख़ैर यह फासी की सज़ा भी विवादों में घिरेगी अभी तो इत्तदा है । कितने मानवाधिकारी आसूं बहायेंगे क्योकि एन .जी .ओ विदेशो के पैसे से चलता है आम आदमियों के दुःख दर्द से नही ।

14 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा.. अभी तो हाई कोर्ट.. सुप्रिम कोर्ट, राष्ट्रपति के पास जायेगी.. १० साल तो पक्के..

    मुझे लगता है इस तरह के फैसले लगातार अदालत चला एक चंद दिनों में क्यों नहीं लिये जा सकते..

    याद है दामिनि फिल्म का आखिरी सीन..

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  2. सही बात है....आज तक यही होता आया है........हमारी राजनिति बदल नही सकती........तभी तो कहते है भारत देश महान है।;))

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  3. बहुत सही कहा आपने...काफ़ी कुछ होना बाकी है अभी...लेकिन जो भी हो ये कातिल बचने नही चाहियें...!!!

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  4. आपकी बात से पूरी तरह सहमत |

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  5. सज़ा सुनाना अलग और सज़ा देना अलग!जब हो जायेगी फ़ांसी तब मानेंगे सज़ा हुई है।सही लिखा आपने।सहमत हूं आपसे।

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  6. सही है....वर्ना इस देश की हालत बँटवारे के बाद भी ऐसी क्यों रहती???

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  7. अफजल तो अभी भी ऐश कर रहा है, और फांसी की सजा भी जल्दी ही सरकार खत्म कर देगी.

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  8. SAHI KAHA HAI AAPNE......YE TRAASADI HAI HAMAARI RAAJNEETI KI.......DEKHNE KI DRISHTI BADAL GAYEE HAI...HAMESHAA RAAJNEETI KE CHASHME SE DEKHTE HAIN SAB KUCH......

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  9. Bat to ekdam sahi likhi apne.

    शब्द-शिखर पर नई प्रस्तुति - "ब्लॉगों की अलबेली दुनिया"

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  10. बहुत धारदार बात कही है आपने...सच येही है इसे झुटलाया नहीं जा सकता...
    नीरज

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  11. हमारे बहादुरो ने भूल् की है उन्हें जिन्दा छोड़ कर ।

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  12. सही कहा आपने। जरूरत से ज्‍यादा हमदर्दी हम भारतीयों के लि‍ए सि‍रदर्दी है।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा