रविवार, अक्तूबर 23, 2011

गद्दाफी के बहाने



मुझे तानाशाह अपनी ओर आकर्षित करते रहे है . पता नहीं क्यूँ  . हर विवादस्पद व्यक्ति को जानने में मेरी रूचि रहती है .  यह मानव स्वभाव है या मेरा शौक ? 

खैर  गद्दाफी का अंत यही बताता है दुनिया गोल है गद्दाफी  जिस माहौल में पैदा हुए उसी माहौल में मर गए .गद्दाफी के बहाने एक सवाल उठता है आखिर क्यों क्रांति के कारण सत्ता परिवर्तन के वाहक बने लोग तानाशाह हो जाते है .

हिटलर ,मुसोलिनी ,स्टालिन ,सदाम हुसैन .गद्दाफी ,इदी अमीन जैसे तानाशाहों में एक समानता यह रही वह अति साधारण परिवारों से सम्वन्ध रखते थे . जुल्म और जालिम के खिलाफ क्रान्ति कर सत्ता में आये यह लोग जुल्म और जालिम के प्रतीक  बन गए . 

आखिर क्या वजह है आम आदमी जब ख़ास बनता है तो भ्रष्ट और तानाशाह हो जाता है .  
क्रान्ति वीर लोग जो जुल्म के खिलाफ आगे आते है क्यों वह जालिम बन जाते है ? जबकि वह साधारण परिवारों से तालुक रखते है . ........................... और जो राज्य पारिवार सैकड़ो सालो से काबिज़ है वहा इतने तानाशाह आजतक पैदा नहीं हुए 

9 टिप्‍पणियां:

  1. जो जैसा माहौल पैदा करता है, उसी में मर जाता है।

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  2. तानाशाह सत्ता पाने से पहले भी वैसे ही थे, मगर सत्ता पाते ही उस प्रवृत्ति के कारण दानवी हो जाते हैं। मामूली आदमी की तानाशाही दिखती नहीं है, वही तानाशाही यदि महत्वपूर्ण व्यक्ति के हाथ में हो तो दमनकारी हो जाती है।

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  3. तानाशाह बनने में शायद तीन चौथाई प्रवृत्तियां और एक चौथाई परिस्थितियां योगदान देती हैं।

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  4. दुनिया सच में गोल ही है ... तानाशाह बन्ने के बाद ये सोचते हैं की अब क्पोई दूसरा मेरा कुछ नहीं कर सकता ..

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  5. शायद हर मनुष्य के भीतर एक तानाशाह छुपा है :)

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  6. स्‍वर्ग नरक सब यहीं हैं .. जहां बसने की इच्‍छा हो बसो ..
    .. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

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  7. जब उन हालातों में सब उन जैसा बनना चाहे तो कुछ और होने की आशा नहीं हो सकती है।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा