गुरुवार, अगस्त 18, 2011

क्या एक कानून भ्रष्टाचार खत्म कर सकता है

हल्ला मचा है जन लोक पाल का ............ बहुत समय से सोच  रहा हूँ क्या एक कानून से भ्रष्टाचार सच में ख़त्म किया जा सकता है . बहुत सोचने पर लगता है नहीं ...... अगर कानूनों से अपराध ख़त्म होता तो आज हम आज
अपराध मुक्त वातावरण में सांस ले रहे होते . खैर एक तबीयत से पत्थर तो उछाला ही जा सकता है . 

लाखो लोग सड़को पर है मेरा मानना है वह भीड़ जन लोकपाल के समर्थन में नहीं पर भ्रष्टाचार के विरोध में है . जनता को लोकपाल से कोई सरोकार नहीं यह  सच है .और अन्ना ........अन्ना सिर्फ निमित्त मात्र है इस लड़ाई में या कहे तो एक मौखुटा या कहे आवाज़ 

यह जो चिंगारी लगी है दावानल से पहले ना रुके ........और भ्रष्टाचार इसमे दफ़न हो जाए ......................आमीन 

11 टिप्‍पणियां:

  1. समय बतायेगा कि क्या होगा?

    क्यों नहीं, जब एक कानून से पुलिस आम जनता को पीट सकती है?

    तो क्यों नहीं?

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  2. सबका सहयोग आवश्यक है भ्रष्टाचार मिटाने के लिये।

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  3. अगर हम यही सोचते रहे तो फिर हम कहीं के नहीं रहेंगे ....इसलिए संघर्ष जरुरी है .

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  4. कहीं से शुरू तो हो...
    मेरे सीने में नही तो तेरे सीने में सही
    हो कहीं भी आग, लेकिन आग लगनी चाहिए- दुष्यंत

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  5. लोकपाल से भ्रष्ट्राचार नहीं मिट सकता ये तय है, लेकिन आम आदमी की सुनवाई करने वाली एक संस्था तो बन सकती है। जो सीधे उसकी बात सुने।

    पहला कदम उठाना ही विजय की ओर बढना होता है।

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  6. बहुतेरे कानून पहले से हैं। बात कानून की नहीं है शायद लेकिन भ्रष्टाचार मिटाने की इच्छाशक्ति का माहौल तो बने।

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  7. अन्ना के आंदोलन को व्यापक जनआंदोलन बनने में अभी अपना आधार व्यापक बनाना होगा. आमीन.

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  8. सच कहा है धीरू जी ... पत्थर उछालना चाहिए अब तो ... कोशुश तो होनी ही चाहिए ...

    कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं ...

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  9. सिर्फ़ कानून बना देने से वही होगा जो अब तक हो रहा है, असली बात तो ईमानदारी से और निष्पक्षता से उसके कार्यान्वयन की है।

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  10. एक अच्छा कदम है. पूरे माहौल को बदलने के लिये संसद के माध्यम से काम करना पड़ेगा, मुझे रामदेव जी ही इस समय उचित विकल्प लगते हैं..

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा