अमरीकी तहजीब या कहे मार्केटिंग के फंडे ने तरह तरह के डे इजाद कर दिए है . फादर ,मदर ,सिस्टर ,ब्रदर ,सन,डाटर और ना जाने क्या क्या .................. और हम उसे आत्मसात भी कर रहे है . आज फादर डे है . एक पुत्र और एक पिता होने के नाते इस दिन को अपने तरीके से देख रहा हूँ मै .
पूर्वजन्मो का फल है मुझे ऐसे घर में जन्म मिला जो बिरलो को ही मिलता होगा . मेरे पिता एक प्रेरणा हो सकते है किसी के भी . मेरा सौभाग्य है मेरे पापा . उनकी मेहनत लगन ने उन्हें वहां तक पहुचाया जहां लोग कल्पना ही कर सकते है .
एक ऐसे परिवार में जन्म लिया मेरे पापा ने जहा किसी बात की कोई कमी नहीं थी . उस जमाने में अपने इक्के [तांगा] से स्कूल जाना बहुत ही विलासता मानी जाती थी . लेकिन एक दुर्भाग्य भी था उनकी माँ का निधन उस समय हो गया जब वह दूध पीते बच्चे थे . समय के साथ दूसरी माँ आई और वह वैसी ही साबित हुई जैसे लोगो के मन में छवि है दूसरी माँ की . बचपन कष्ट कारक बीता . आज तक यह समझ नहीं आता है पति क्यों कमजोर पड़ जाता है पत्नी के सामने . खैर ......... .. कल्पना कीजिये चार पांच साल का बच्चे को आटा, दाल ,नमक दे कर कहा जाए की अपना खाना खुद बनाओ तो क्या होगा ............. किसी तरह बचपन कट गया लेकिन मन में ठाना किसी से कुछ नहीं लेंगे . अपने पैरो पर खड़े होने की ललक ने उन्हें कठिन परिश्रम की ओर आगे किया .
पहली शुरुआत सायकिल पर सामान रखकर लगभग १०० किमी रोज़ की परिक्रमा . यह कार्य मुझे लगता है जीवकोपार्जन से ज्यादा घर वालो को यह दिखाना था मै कुछ भी कर सकता हूँ . शुरू से ही समाज सेवा व् राजनीति का भी जज्बा था वह भी साथ साथ चलता रहा . राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बन संघ के शुरआती दौर में घर घर ,गाँव गाँव उसका काम किया . बाद में जनसंघ में सक्रिय रूप से शामिल हुए . अपना व्यापार शुरू किया और उसे बुलंदियों तक पहुचाया .
बाद में अपनी मेहनत और इमानदारी से तीन बार संसद सदस्य चुने गए . आज के दौर के ऐसे नेता जो इतने ऊँचे पदों पर रहने के बाद भी बेदाग़ है . विरोधी भी उन पर आरोप लगाने का साहस ना कर सके . आज वह रिटायर है राजनीति से भी क्योकि आज के माहोल को वह अड्जेस्ट नहीं कर पा रहे है . सब एक थैली के चट्टे बट्टे है यह उनका मानना है .
मै उनका पुत्र जो इस कोशिश में हूँ अपने पिता के पदचिन्हों पर कदम दो कदम चल सका तो अपने को धन्य समझूंगा .
हमारा प्रणाम बाबूजी को ... और आपको फादर'स दे की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआप निश्चय ही अपने पिताजी को गौरवान्वित करेंगे।
जवाब देंहटाएंजिस देश का इतिहास कुल २५०/३०० सर्ष का है, उसके पास संस्कृति के नाम पर यही तो होगा, त्योहार वे बेचारे क्या जाने :)
जवाब देंहटाएंबिल्कुल चल सकेंगे. और उनकी धरोहर भी संभाल सकेंगे हमेशा.
जवाब देंहटाएंपहली शुरुआत सायकिल पर सामान रखकर लगभग १०० किमी रोज़ की परिक्रमा .. बाद में अपनी मेहनत और इमानदारी से तीन बार संसद सदस्य चुने गए . . पिताजी के व्यक्तित्व के बारे में कहने के लिए ये दोनो पंक्तियां काफी हैं .. उन्हे मेरा प्रणाम!!
जवाब देंहटाएंमेरा विनत प्रणाम
जवाब देंहटाएंबाज़ार "ऐसे-वैसे दिन" भी लाने वाला है जिनकी मैने आपने कल्पना भी नहीं की होगी।
जवाब देंहटाएंबाबू जी को हमारा प्रणाम ... पितृ दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं धीरू जी ...
जवाब देंहटाएंधीरू सिंह जी साधुवाद - सुन्दर भाव युक्त लेख काश सभी पुत्र अपने पिता के प्रति समर्पित रहें अंत तक उनके दिल में बसे प्यार दें और लें
जवाब देंहटाएंमै उनका पुत्र जो इस कोशिश में हूँ अपने पिता के पदचिन्हों पर कदम दो कदम चल सका तो अपने को धन्य समझूंगा-
आप कुछ नहीं पूरा उनके नक़्शे कदम पर चले बेदाग़ निष्कलंक रह समाज को कुछ दें -शुभ कामनाएं
शुक्ल भ्रमर ५
मुश्किलें किसी को तोड़ देती हैं और किसी को मजबूती देती हैं, काबिले-जिक्र वही होते हैं जो मजबूती से मुसीबतों का सामना करते हैं। बाबूजी को हमारा प्रणाम पहुँचायें।
जवाब देंहटाएंआप जरूर बाबूजी के आदर्शों पर खरे उतरेंगे, हमें विश्वास है।
हमारा प्रणाम बाबूजी को ..
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