शुक्रवार, मई 28, 2021

वीर सावरकर

वीर सावरकर को अगर आप पढ़े तो आपको जरूर पता चलेगा सावरकर का विरोध उनकी हिंदुत्व शब्द की मीमांसा को लेकर हुआ । उनके द्वारा हिन्दुओ के सात सुधारो को उस समय के कट्टरपंथी हिन्दुओ को सहन नही हुआ होगा। गाय पर उनके विचार आज के समय उनको हिंदुत्व से खारिज करने के लिये काफी है। 
1906 में गाँधी से उनकी पहली मुलाकात में गाँधी को जब पता चला कि ब्राह्मण होकर सावरकर झींगा मछली बना और खा रहे है तो गाँधी ने एक दूरी उनसे बना ली। और सावरकर का कहना आप मछली को बुरा मान रहे हो हमे तो अंग्रेजो को खाना है। 

सावरकर का विरोध मुझे लगता है उनके सुधारवादी हिंदुत्व के कारण शुरू हुआ होगा । उस समय कांग्रेस अपने को हिन्दू महासभा से बड़ा हिन्दू हितैषी दल मानता था। और सावरकर के रहते यह सम्भव न हो पा रहा था। इस लिए सावरकर की छवि को खराब करने के लिये आरोप लगाया माफी का उसके बाद गांधी हत्या का। जबकि सावरकर को दोहरे कालापानी की सजा मिली उन्हें कोल्हू में जोता गया अत्याचार किया गया अगर उन्हें माफी मांगनी होती तो जब वह पानी के जहाज से फरार हुए और फ्रांस के तट पर पकड़े गए तभी मांग सकते थे। 

आज तक वीर सावरकर के त्याग बलिदान को वह स्थान नही मिला जो मिलना चाहिए था। क्योकि सावरकर किसी भी सत्ता दल की परिभाषा में उनके हिसाब से खरे नही उतरते।

आज सावरकर पर जो रेडीमेड बधाईयाँ प्रेषित कर रहे है अगर वह सावरकर को पढ़ लेंगे तो असहज हो जाएंगे।

सावरकर को पढिये समझिये ।

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