दिल्ली दरबार
इंग्लैंड का किंग जार्ज पंचम ने जब १९११में दिल्ली में अपना दरबार लगाया उस समय के तमाम राज्यों के राजाओं नबाबो ने सिर झुका कर स्वागत किया और किंग जार्ज को भरोसा हुआ अगली कई शताब्दियों तक ब्रितानी हुकूमत चलती रहेगी।
लेकिन जनता ख़िलाफ़ थी और तीस सालो के अंदर ही आम जनता ने अंग्रेजो को भारत से भगा दिया।
इतिहास बहुत कठोर होता है और भविष्य बहुत निर्दयी। राज्यों के राजा नवाब की चरण वंदना से यह नही लगना चाहिए प्रजा ख़ुश है।
अति आत्मविश्वास की पराकाष्ठा और अहंकार में बहुत महीन अंतर होता है। और अहंकार तो रावण का भी नही बचा।
शेष शुभ
इंग्लैंड का किंग जार्ज पंचम ने जब १९११में दिल्ली में अपना दरबार लगाया उस समय के तमाम राज्यों के राजाओं नबाबो ने सिर झुका कर स्वागत किया और किंग जार्ज को भरोसा हुआ अगली कई शताब्दियों तक ब्रितानी हुकूमत चलती रहेगी।
लेकिन जनता ख़िलाफ़ थी और तीस सालो के अंदर ही आम जनता ने अंग्रेजो को भारत से भगा दिया।
इतिहास बहुत कठोर होता है और भविष्य बहुत निर्दयी। राज्यों के राजा नवाब की चरण वंदना से यह नही लगना चाहिए प्रजा ख़ुश है।
अति आत्मविश्वास की पराकाष्ठा और अहंकार में बहुत महीन अंतर होता है। और अहंकार तो रावण का भी नही बचा।
शेष शुभ
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " होरी को हीरो बनाने वाले रचनाकार मुंशी प्रेमचंद “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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