मंगलवार, फ़रवरी 28, 2012

हिंदी ब्लागिग के नुक्सान के लिए क्या चिट्ठाजगत व् ब्लागवाणी दोषी है

लगभग दो महीने हो गए ब्लॉग को लिखे हुए . ऐसा पहली बार हुआ . कल बहुत सोचा की ऐसा क्यों हो रहा है . और तो और इण्डिया टुडे के इस अंक में हिंदी ब्लोगिग की दुर्दशा पर भी एक रिपोर्ट आई है . जितनी तेज़ी से हम लोग चले थे  उससे तेज़ी से हम लोग रुक गए .

हिंदी ब्लोगिग को नुक्सान  के लिए ट्विटर  और फेस बुक को काफी हद तक दोषी माना जा रहा  है लेकिन मै इस का कारण चिट्ठाजगत और ब्लागवाणी जैसे  लोकप्रिय ब्लॉग प्रेरको का असमय गन्दी राजनीति के आगे हार मान लेना रहा . आज भी ब्लागवाणी को खोलकर देखता हूँ की सीता की दुविधा ख़त्म हुयी की नहीं हुई . यह सच है चिट्ठाजगत और ब्लागवाणी गागर में सागर थे ब्लागों के लिए . कोई माने या न माने मेरे लिए तो थे ही . बहुत से और एग्रीगेटर आये लेकिन मै उनके साथ सहज नहीं हो पाया . काश ब्लागवाणी फिर से शुरू हो चाहे तो एक प्रतीकात्मक शुल्क के साथ ही .


मेरी वरिष्ट ब्लागरो से अपील है की एक माहौल बनाये फिर से जिससे हम स्वयम्भू लोग भी लिखना पढना चालू रखे . ............................................... आमीन 

10 टिप्‍पणियां:

  1. लिखना पढ़ना जारी है, ब्लॉग बना रहेगा...

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  2. ये दोनों फिर से प्रारम्भ होना चाहिये.

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  3. अंदर की राजनीति का बहुत नहीं मालूम कि इनके बंद होने के पीछे क्या कारण थे लेकिन इन दोनों एग्रीगेटर्स की कमी खलती है।

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    1. आपकी बात के पीछे अवश्य कुछ तथ्य होंगे। नये ब्लागर्स के लिये तो ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत बहुत महत्वपूर्ण थे।

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    2. ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत प्रेरित करते थे लिखने के लिये .

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  4. आप सही कहते हैं। इनकी कमी महसूस होती है। पर समय तो आगे चलता है। चलता रहेगा! :-(

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    1. लेकिन कुछ ऎसा होता है कि उचित विकल्प ना मिले तो समय भी भुला नही पाता है

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा