'हाँ- लात' बड़ी सख्त पड़ी फ़ैसला सुनकर, बेदर्दी-ए- 'हालात' का क्या तज़करा कीजे, अब 'हाल', 'बहरहाल' तो 'बदहाल' है अपने, इन्साफ की इस 'चाल' पे क्या तबसरा कीजे.
घटना के वाद शोर मचाना हमारी आदत बन चुकी है। हमने जब इस हमले से सबक लेकर परमाणु सुरक्षा विल जो कि भारतीयों के जानमाल को खतरे में डालने वाला है पर लोगों ने इतना ठण्डा रिसपोंस दिया कि लगता है ये कोई विषय ही नहीं है।
सटीक..
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक और एकदम सही ,धन्यवाद के लायक और बेहद सराहनीय |
जवाब देंहटाएंअमूल के विज्ञापन हमेशा सटीक और तीखे होते हैं… लेकिन उसका मक्खन बेहतरीन होता है… :)
जवाब देंहटाएंसचमुच सटीक !!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही!
जवाब देंहटाएंक्षुब्ध हैं इस प्रक्रिया से...
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक और एकदम सही ......
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक !
जवाब देंहटाएंसत्य है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और सटीक टिप्पणी है। और धीरु सर जी आप भी बड़े विनोदी स्वभाव के लगते हैं।
जवाब देंहटाएंसचमुच सटीक !! अमूल को साधुवाद !
जवाब देंहटाएंजी देर भी और अंधेर भी.
जवाब देंहटाएंशब्दों का इस से अच्छा चयन नहीं हो सकता था . साधुवाद अमूल
जवाब देंहटाएं'हाँ- लात' बड़ी सख्त पड़ी फ़ैसला सुनकर,
जवाब देंहटाएंबेदर्दी-ए- 'हालात' का क्या तज़करा कीजे,
अब 'हाल', 'बहरहाल' तो 'बदहाल' है अपने,
इन्साफ की इस 'चाल' पे क्या तबसरा कीजे.
-- mansoorali hashmi
http://aatm-manthan.com
घटना के वाद शोर मचाना हमारी आदत बन चुकी है।
जवाब देंहटाएंहमने जब इस हमले से सबक लेकर परमाणु सुरक्षा विल जो कि भारतीयों के जानमाल को खतरे में डालने वाला है पर लोगों ने इतना ठण्डा रिसपोंस दिया कि लगता है ये कोई विषय ही नहीं है।
bahut sahi !!
जवाब देंहटाएंTRUE!!!!
जवाब देंहटाएंये तीखी प्रतिक्रया भी गैस त्रासदी के भुक्त भोगी को राहत नहीं दिला सकती.
जवाब देंहटाएंजेम्स एंडरसन को सुरक्षित और सरकारी जहाज से निकालने का मुद्दा उठ रहा है, लेकिन होना फ़िर कुछ नहीं है।
जवाब देंहटाएंवाकई ये टिप्पणी बहुत सटीक है।
आज तो वह चित्र दिख नहीं रहा। पर अगर ब्लैंक भी एक प्रतिक्रिया है तो बहुत सटीक है!
जवाब देंहटाएंहाँ जी ने एकदम सटीक.. और ये पृष्ठभूमि में लन्दन का वेस्टमिन्स्टर एबे भी बहुत खूबसूरत लगा..
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