गुदड़ी के लाल
गाँव गरीब में पले बढ़े कुछ होनहार अपने परिश्रम संघर्ष और योग्यता से वह सब हासिल कर लेते है जो चांदी का चम्मच मुँह में पैदा लिए लोग के लिए एक सपना है।
लेकिन बड़े लोगो की गिद्ध दृष्टि इन होनहारों पर होती है वह येन केन प्रकरेण उन होनहारों को अपने में शामिल करना चाहते है किसी भी कीमत पर।
एक गरीब परिवार का बेटा अपने हुनर से विश्वपटल पर छा जाता है। सफल व्यक्ति के साथ रिश्ता जोड़ने की चाहत बड़े बाबू साहब लोग अपनी बेटी के स्टेटस के लिए उन्हें अपना जवाई बनाने के लिए जाल फेंकते है और बड़े घर की बेटी गरीब घर की बहू बन जाती है कौन सा उस परिवार से सम्बन्ध रखना है। बेचारा वह होनहार इस चक्रव्यूह में फंस कर अपनी सुद्धबुद्ध खो बैठता है। और वह उस अंत को प्राप्त होता है जिसका वह हकदार कतई नही था।
यह वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ हुआ जो अपना मानसिक संतुलन खोने के बाद खत्म हो गए और कुछ दिन पहले एक IPS सुरेंद्र नाथ दास ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली ।
मृगतृष्णा में सब दौड़ रहे है दोषी सब है।
गाँव गरीब में पले बढ़े कुछ होनहार अपने परिश्रम संघर्ष और योग्यता से वह सब हासिल कर लेते है जो चांदी का चम्मच मुँह में पैदा लिए लोग के लिए एक सपना है।
लेकिन बड़े लोगो की गिद्ध दृष्टि इन होनहारों पर होती है वह येन केन प्रकरेण उन होनहारों को अपने में शामिल करना चाहते है किसी भी कीमत पर।
एक गरीब परिवार का बेटा अपने हुनर से विश्वपटल पर छा जाता है। सफल व्यक्ति के साथ रिश्ता जोड़ने की चाहत बड़े बाबू साहब लोग अपनी बेटी के स्टेटस के लिए उन्हें अपना जवाई बनाने के लिए जाल फेंकते है और बड़े घर की बेटी गरीब घर की बहू बन जाती है कौन सा उस परिवार से सम्बन्ध रखना है। बेचारा वह होनहार इस चक्रव्यूह में फंस कर अपनी सुद्धबुद्ध खो बैठता है। और वह उस अंत को प्राप्त होता है जिसका वह हकदार कतई नही था।
यह वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ हुआ जो अपना मानसिक संतुलन खोने के बाद खत्म हो गए और कुछ दिन पहले एक IPS सुरेंद्र नाथ दास ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली ।
मृगतृष्णा में सब दौड़ रहे है दोषी सब है।
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