सबकुछ तो नहीं बहुत कुछ खो कर बैठा हूँ . विस्थापित हुआ लेकिन लौटा तो उसी जगह जहाँ से चला था . दुनिया गोल है साबित हुआ . इन कुछ सालो में जिंदगी ने बहुत सबक दिए ,सबक ऐसे जो सिखा गए कि आगे क्या करना है क्या नहीं .
किस्मत पर मुझे भरोसा न था लेकिन किस्मत ने ओ मुझे नचाया अब यकीन कर लिया किस्मत होती है . और हम कठपुतलिया है जिनकी डोर किसी और के हाथ में है . कह कुछ भी ले लेकिन हम से करवाया जाता है हम कुछ करते है यह हमारा भ्रम है .
आज यहाँ आये है और कोशिश करूंगा रोज यहाँ आऊ . वैसे भी ब्लागिंग के लिए कभी कहा गया था यह ठलुओ का काम है और आज मुझ से ज्यादा ठलुआ कोई नहीं . इसलिए अपना ठलुआ धर्म निभाऊंगा .
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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा