शुक्रवार, अगस्त 29, 2014

क्या चिटठा जगत और ब्लोगवाणी की कमी खल रही है हिन्दी ब्लॉगिंग को ?

आज से फिर से ब्लॉग पर समय देना प्रारम्भ किया है। सौभाग्य से  गणेश चतुर्थी का दिन है आज।  आज कई पुराने ब्लागों पर गया।  फेसबुक और ट्विटर के दौर में पोस्ट पढ़ने के बाद like का बटन तलाशा।

एक साथ ब्लॉग ताप ठंडा क्यों पड़ गया यह शोध का विषय हो सकता है।  फेसबुक और ट्विटर ने ब्लॉग को मृतप्राय तो कर ही दिया।  मैंने बहुत सोचा तो हिंदी ब्लॉगिग को सबसे बड़ा नुक्सान चिटठा जगत और ब्लॉगवाणी के असमय बंद होने से सब से ज्यादा हुआ।  आपस की राजनीति ने सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग एग्रीगेटर को बंद करा दिया।

वरिष्ठ ब्लागरो से अनुरोध है वह भी नियमित होकर ब्लॉग की मशाल जलाये रखे।  एक दिन ब्लॉग फिर वही पुराने वैभव में आएगा ऐसा मेरा मानना है।



4 टिप्‍पणियां:

  1. असल में जिस तरह का लिखा जा रहा था, उसके लिये फ़ेसबुक/ट्विटर ज्यादा मुफीद है। लोग कण्टेण्ट देने की बजाय सामाजिक मेलजोल तलाश रहे थे, जो ये दोनो बेहतर कर पा रहे हैं। लोग नया पन लायें और एक दूसरे के ब्लॉग को ऑब्जेक्टिवली पढ़ने टिप्पणी करने लगें; तो काम चलेगा।

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  2. सही कह रहे हैं .. अभी blogsetu.com चल रहा है ..

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  3. 1 - जो लोग मेल-मुलाक़ात का सटीक साधन न होने/जानने के कारण ब्लॉग पर थे, उन्हें तो फेसबुक जैसी जगह शिफ्ट होना ही था।
    2 - फोन जैसी डिवाइस के लिए फेसबुक मुफीद है,जबकि ब्लॉग आलेख जैसे बड़े और सीरिअस लेख राह चलते नहीं लिखे जा सकते।
    3 - एग्रीगेटर्स की कमी नहीं है, लेकिन पढ़ने वाले को उनकी खास ज़रूरत नहीं लगती क्योंकि ब्लॉगर तो अपना खुद का ब्लॉगरोल रख सकते हैं और नॉन-ब्लॉगर सर्च इंजन, बुकमार्क आदि साधनों का प्रयोग कराते ही हैं।

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  4. इस दिशा में hamarivani और blog-setu बहुत बढ़िया काम कर रही हैं।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा